रिपोर्ट: मोहम्मद आबिद
‘मां’ जो दुनिया में सबसे अजीज होती है क्योंकि वो हर बुरे हालात में भी बच्चों के लिए दुआएं करती है और ‘मां’ को शब्दों में बांध पाना असंभव है, वह ममता का वो सागर है जिसमें भावनाएं हिलोरे लेती रहती हैं इसलिए तो कहा गया है कि अगर ईश्वर को देखना है तो मां को देख लेना चाहिए। ऐसे व्यक्तित्व पर कोई शायर अपने कलाम न लिखे, यह नहीं हो सकता।
जी हां हम एक ऐसी मां की बात कर रहे हैं जिसने अपने प्यार को पाने के लिए अपनी ही मां को कुचल दिया और जब वह मां बनी तो उसका 12 साल का बेटा उसकी सलामति की गुहार लगा रहा है।
अमरोहा के बहुचर्चित बामनखेड़ी कांड की गुनाहगार शबनम की दयायाचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी खारिज कर दिया है और अब सिर्फ डेथ वारंट पर कभी भी हस्ताक्षर हो सकते हैं।और इसी कड़ी में जल्द ही शबनम को फांसी पर लटकाया जा सकता है।
‘मुझे पैसे देती है और आंचल में छिपाती है मां मेरी’
लेकिन इन सभी चीजों के बीच में आरोपी शबनम के बेटे ताज ने देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अपनी मां की फांसी की सजा को माफ करने की मांग की है। और अपनी मां को यादकर रो पड़ता है और कहता है की मेरी मां मुझे पैसे देती है, बहुत प्यार करती है उसकी मां उसे अपने आंचल में छिपा लेती है और उसको उसने टॉफी भी दी है। इसके साथ ही ताज ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भावुक अपील करते हुए लिखा की मां की सजा को मांफ किया जाए जिससे उसके सिर से मां का साया न उठ पाए।
“पढ़-लिख कर बनना अच्छा इंसान”
शबनम ने जब अपने बेटे ताज से मुलाकात की थी तब उसे समझाया था कि मन से पढ़ाई करना, जब दिल लगा कर पढ़ाई करने से आगे बढ़ोगे।
बतादें की बुलंदशहर के भूड़ निवासी उस्मान सैफी के परिवार के साथ ताज रहता है और शहर के एक नामी स्कूल से पढ़ाई कर रहा है जिससे उसका जीवन संवारा जा सके। ताज की परवरिश करने वाले उस्मान सैफी कहते हैं की जब उनको ताज को सौंपा गया था तब ताज की उम्र 6 साल की थी और उस ताज परेशान होता था लेकिन अब ताज परिवार के साथ घुल मिल गया है और वह जहां तक पढ़ना चाहे, उसकी पढ़ाई और परवरिश की सारी व्यवस्था है. वह यह भी कहते हैं कि ताज की मां के पास काफी प्रॉपर्टी है. वह शबनम से कह चुके हैं कि वह इस प्रॉपर्टी को स्कूल, कॉलेज, अस्पताल जैसे किसी अच्छे काम के लिए दान कर दें।