मोदी सरकार आगामी बजट 2025-26 में बुनियादी ढांचे के विकास और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) में 10-12% की सालाना वृद्धि कर सकती है। यह कदम अर्थव्यवस्था और कैपेक्स-टू-जीडीपी अनुपात को संतुलित रखने के उद्देश्य से उठाया जाएगा।
पूंजीगत खर्च: आर्थिक विकास की कुंजी
चुनावी साल के बाद भी पूंजीगत खर्च में वृद्धि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने में सहायक होगी। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 16% की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए, इस बार के बजट में 10-12% की वृद्धि जरूरी है, ताकि बुनियादी ढांचे में निवेश पर सरकार का फोकस स्पष्ट हो।
रक्षा क्षेत्र में 8% तक बढ़ोतरी की संभावना
रक्षा क्षेत्र पर भी खासा ध्यान दिया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार,2023-24 से 2029-30 तक रक्षा बजट में सालाना 7-8% की चक्रवृद्धि वृद्धि हो सकती है।
घरेलू रक्षा क्षेत्र अगले 5-6 वर्षों में 100-120 अरब डॉलर के अवसर प्रदान करेगा। निर्यात में वृद्धि होने पर यह आंकड़ा 15% वार्षिक वृद्धि तक पहुंच सकता है। चुनावी साल में खर्च घटा, अब जरूरत दोगुनी,वित्त वर्ष 2025 के पहले सात महीनों में चुनावों के कारण पूंजीगत खर्च में 15% गिरावट देखी गई।
चालू वित्त वर्ष में 5% की मामूली वृद्धि पाने के लिए नवंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच 32% खर्च बढ़ाने की आवश्यकता होगी। यह वित्तीय घाटे को नियंत्रित रखते हुए विकास योजनाओं को गति देने में मदद करेगा।
इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहेगा विशेष ध्यान
बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश से हितधारकों का भरोसा बढ़ेगा और रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। सड़क, रेल, बिजली और जल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में निवेश के जरिए विकास दर को तेज बनाए रखने का प्रयास होगा। सरकार के पूंजीगत खर्च में वृद्धि से निजी क्षेत्र के निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
बजट 2025-26 में पूंजीगत खर्च में वृद्धि सरकार की बुनियादी ढांचे और रक्षा क्षेत्र पर ध्यान देने की रणनीति को दर्शाएगा। यह कदम न केवल चुनावी साल के बाद की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा, बल्कि भारत की आर्थिक वृद्धि को भी नई दिशा देगा।