छिंदवाड़ा में कांग्रेस का किला ढहाने के लिए भाजपा चुनाव प्रचार बंद होने के एक दिन पहले ब्रह्मास्त्र का उपयोग करने जा रही है। वैसे तो यहां हर दिन भाजपा के राष्ट्रीय या प्रदेश के किसी बड़े नेता की सभा हो रही है, पर 16 अप्रैल को यहां अमित शाह का रोड-शो होने जा रहा है। इससे पार्टी काे बड़ी उम्मीद है।
प्रदेश सरकार पूरी तरह से छिंदवाड़ा पर फोकस कर रही है। मोहन यादव मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक सात बार छिंदवाड़ा जा चुके हैं। लोकसभा चुनाव के प्रचार में वे लगातार छिंदवाड़ा जा रहे हैं और कमलनाथ और कांग्रेस पर हमलावर हैं। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, मंत्री प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय छिंदवाड़ा में ही कैंप किए हुए हैं।
भाजपा ने छिंदवाड़ा सीट जीतने के लिए कमलनाथ के करीबियों को ही तोड़ लिया। अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह, छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहाके, पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना, चौरई से पूर्व विधायक गंभीर सिंह समेत सैकड़ों की संख्या में पार्टी के कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल कर लिया।
भाजपा का शहर में वोट बैंक है। इस बार भाजपा सबसे ज्यादा अपना प्रचार ग्रामीण इलाकों में कर रही है। भाजपा प्रत्याशी लगातार गांव के दौरे कर रहे हैं। यहां से कांग्रेस के वोट बैंक को तोड़ा जा रहा है।
छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के दिग्गज नेता चुनावी सभा में कमलनाथ पर बयानों से तीखे वार कर हे हैं। पिछले दिनों छिंदवाड़ा दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कहा था कि छिंदवाड़ा को कमलनाथ से आजाद कराएंगे। CM मोहन यादव ने सौंसर में कहा था कि कमलनाथ 40 साल से यहां समस्या पैदा कर रहे हैं। इस बार जनता ने उन्हें घर बैठाने की तैयारी कर ली है। नारा दिया अबकी बाार छिंदवाड़ा पार। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, नकुलनाथ इस बार क्लीन बोल्ड या हिट विकट होंगे।
मध्य प्रदेश में 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भाजपा दो सीट नहीं जाती पाई थी। गुना-शिवपुरी और छिंदवाड़ा सीट शामिल थी। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 29 में से 28 सीटें जीती, लेकिन छिंदवाड़ा से कांग्रेस के नकुलनाथ चुनाव जीते। इस बार भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 की 29 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है।
कमलनाथ कांग्रेस के करिश्माई नेता हैं। 44 साल में उन्होंने 11 चुनाव जीते। भाजपा ने उन्हें घेरने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल जैसे दिग्गजों को उतारा है, उनका मजबूत किला नहीं भेद पाए। 77 की उम्र में पहली बार वह भाजपा के सियासी चक्रब्यूह में उलझे दिख रहे हैं। छिंदवाड़ा सीट पर कमलनाथ 1980 में पहली बार सांसद बने। इसके बाद वह 9 बार सांसद रहे। 1997 के उपचुनाव में कमलनाथ पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा से चुनाव हार गए थे। हालांकि एक साल बाद आम चुनाव में फिर कमलनाथ ने चुनाव जीत लिया। अभी कमलनाथ छिंदवाड़ा सीट से विधायक हैं। इस सीट पर एक बार उनकी पत्नी अलका नाथ 1996 और बेटे नकुलनाथ 2019 में सांसद बने।
कमलनाथ का छिंदवाड़ा की जनता से चार दशक पुराना रिश्ता है। उनका जनता से भावनात्मक जुड़ाव है। अब वे जनता को उनके छिंदवाड़ा से जुड़ाव की बातें कर रहे हैं। उनको अपने पुराने दिन की याद दिला रहे हैं। पूरा नाथ परिवार चुनाव मैदान में उतर गया है। कमलनाथ भावनात्मक बयानों से आदिवासी वोटरों को साधने में जुटे हैं। छिंदवाड़ा में 38 प्रतिशत यानी साढ़े छह लाख आदिवासी वोटर हैं।