नई दिल्ली : गणतंत्र दिवस हिंसा के दौरान टूलकिट मामला सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस लगातार जांच कर रही थी, जिसमें उन्हें बड़ी कामयाबी भी मिली, जो दिशा रवि के रूप में था। आपको बता दें कि आज इसी मामले को लेकर दिशा रवि की अदालत में पेशी हुई। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने अदालत से दिशा रवि की रिमांड पांच दिन बढ़ाने की मांग की।
दिल्ली पुलिस ने अदालत में बताया कि दिशा रवि ने सारे आरोप शांतनु-निकिता पर डाल दिए हैं, ऐसे में वो उन तीनों को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करना चाहते हैं। वहीं पटियाला हाउस कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की अर्जी पर दिशा रवि को एक दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेजे जाने का फैसला सुनाया।
दिशा के वकील ने अदालत में कहा कि मोबाइल में जो जानकारी थी, वो पुलिस के पास भी है। इसलिए हमने हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। गौरतलब है कि सोमवार को ही टूलकिट मामले में आरोपी निकिता जैकब और शांतनु साइबर सेल पहुंची हैं। निकिता जैकब और शांतनु को दिल्ली पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया है। पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि दिशा रवि को निकिता जैकब और शांतनु के साथ आमने-सामने बैठाकर पूछताछ करनी है।
आपको बता दें कि पर्यावरणविद दिशा रवि को किसान आंदोलन के दौरान हिंसा भड़काने के लिए टूलकिट बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। वहीं दिल्ली पुलिस का दावा है कि इसके पीछे खालिस्तान से जुड़े संगठनों की साजिश थी। पुलिस ने बताया कि 17 और 18 जनवरी को भी जूम मीटिंग की गई और 23 को टूलकिट तैयार हुआ।
दिल्ली पुलिस का दावा है कि कनाडा के पोएटिक जस्टिक फाउंडेशन से जुड़ा एमओ धालीवाल भारत में किसानों की आड़ में माहौल खराब करने की फिराक में था। अगर वो सीधे कोई कार्रवाई करता तो एक्सपोज़ हो जाता इसलिए उसने भारत मे कुछ चेहरों का सहारा लिया। दिशा रवि ने टूलकिट में एडिट किया है। इनका सहयोगी शान्तनु दिल्ली आया था और 20 से 27 तक दिल्ली में था।
आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिशा की तरफ से सबूतों को मिटाया गया है। दिशा ने सुबूतों के साथ छेड़छाड़ की है, 60 से 70 लोग Zoom मीटिंग में थे जिसमें मो धालीवाल शामिल था, दिशा रवि को तमाम हो रही चीजों की जानकारी थी। उनको यह पता था कि किस प्रकार लोगों को भ्रमित किया जा सकता है।
वहीं, दिशा रवि के वकील ने इन सभी आरोपों को खारिज किया है और कहा कि किसी देश विरोधी व्यक्ति के बातचीत करने से क्या हम देश विरोधी हो जाएंगे? अपनी बातें किसी भी प्लेटफॉर्म पर रखना अपराध नहीं है। दिल्ली पुलिस कोई लिंक नहीं बना पा रही है। उन्होंने कहा कि हम किसी आंदोलन को पसंद-नापंसद कर सकते हैं। नापसंद करने का मतलब ये नहीं कि हम देशद्रोही हो गए।