नई दिल्ली : 9 अगस्त 2020 को शुरू हुए किसान आंदोलन के तकरीबन 8 महीने हो गये है, लेकिन अभी तक इस आंदोलन का हल नहीं निकल सका है। क्योंकि किसानों की मांग है कि सरकार उन तीनों कृषि कानून को वापस लें, जो उन्होंने संसद के दोनों सदनों से पास किया है। आपको बता दें कि अपने इसी आंदोलन को तेज करने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत लगातार दूसरे प्रदेशों और राज्यों को दौरा कर रहें है, जिससे वे अपने इस आंदोलन में फिर दुबारा जान फूंक सकें।
बता दें कि अपने इसी आंदोलन को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत मंगलवा को राजस्थान के जयपुर दौरे पर थें, जहां उन्होंने किसानों के साथ पंचायत की। यहां टिकैत ने पंचायत में शामिल हुए लोगों से कहा कि केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करने वाले किसानों को विभाजित नहीं होना है, उन्हें फिर से राष्ट्रीय राजधानी में जाना होगा और बैरिकेड को फिर से तोड़ना होगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हमें जाति और धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हुए। जब आपसे कहा जाएगा तब आपको दिल्ली जाना होगा और फिर से बैरिकेड तोड़ने होंगे। राकेश टिकैत ने आगे कहा कि पीएम मोदी ने कहा है कि किसान अपनी फसलें कहीं भी बेच सकते हैं। हम राज्य की विधानसभाओं, कलेक्टर ऑफिस और संसद में फसलें बेचकर इसे साबित कर देंगे। संसद से बेहतर कोई मंडी नहीं हो सकती।
बता दें कि इससे पहले रविवार को टिकैत ने कर्नाटक के किसानों से कहा कि वो अपने राज्य में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे प्रदर्शनों की तरह प्रदर्शन करें और राजधानी बेंगलुरु को चारों तरफ से घेर लें। टिकैत ने शिवमोगा में किसानों की एक मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि यह लड़ाई लंबे समय तक चलेगी। हमें ऐसे प्रदर्शन हर शहर में शुरू करने होंगे, इन प्रदर्शनों को तबतक जारी रखना होगा, जबतक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती और एमएसपी पर कानून नहीं बनाया जाता।
गौरतलब है कि इससे पहले भी किसान नेता राकेश टिकैत ने बैरिकेड तोड़ने की बात कहीं थीं, जिसका नतीजा यह हुआ कि गणतंत्र दिवस के दिन पूरे देश को विश्व स्तर पर शर्मसार होना पड़ा। जब इस आंदोलन में शामिल कुछ लोगों ने लालकिले के प्राचीर पर एक धार्मिक झंडा फहराया। साथ ही हिंसा भी की, जिसमें कई जवान घायल हुए। अब जबकि एक बार फिर टिकैत इस तरह का बयान दे रहें हैं तो क्या एक बार फिर दिल्ली हिंसा की चपेट में आयेगी। अगर हां तो इस हिंसा को रोकने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को उचित कदम उठाना चाहिए, जिससे हिंसा को दोहराया ना जा सकें।