नई दिल्ली : नये साल के शुरूआत के साथ ही एक तरफ जहां बेरोजागारी ने लोगों को परेशान कर रखा हैं, वहीं धीमी रफ्तार से बढ़ती हुई महंगाई भी जान लेने पर तुली है। जिसका खासा असर इस साल होने वाले मकर संक्रांति पर्व भी पड़ा। आपको बता दें कि इस महंगाई के कारण मकर संक्रांति के पर्व के मौके पर बिकने वाले तिलकुट, लाई, गज़क जैसे कई वस्तुओं की कीमत में भारी उछाल दर्ज किया गया।
सालों से ये मान्यता है कि मकर संक्रांति पर दान एक पुण्य का काम है। लेकिन इस साल ऐसा प्रतीत होता है कि मकर संक्रांति के त्यौहार में दान करना मुश्किल पड़ सकता है। बता दें, दान की जाने वाली खाद्य वस्तुओं पर 15 से 20 फीसद से अधिक तक की महंगाई है। इसकी बिक्री का असर दुकानदार भी महसूस कर रहे हैं। पहले कोरोना और अब महंगाई का असर दान की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में गजक, रेवड़ी, चावल, मूंग की दाल, गुड़, तिल, बूरा सभी पर है।
विक्रेताओं ने बताया कि स्थानीय गजक 10 फीसद वहीं बाहरी गजक पर 20 फीसद महंगा है। नज़र डालते है दान में कि जाने वाली सभी वस्तुओ के दाम पर :
सादा गजक-180 से 200 रुपये शुगर फ्री गजक-400 रुपये
ड्रॉयफ्रूट गजक-350 रुपये
गजक समोसा-300 रुपये
कुरकुरे गजक रोल-250 रुपये
मावा तिल गजक-300 रुपये
कुटी तिल के लड्डू-200 रुपये कड़ाकेदार रेवड़ी 200 रुपये
मूंगफली की चिक्की 220 रुपये।
गौरतलब है कि, बाहर से आने वाली गजक महंगी होने के मध्य स्थानीय स्तर पर तैयार गजक की ज्यादा डिमांड है। इसी कारण पर्व पर अच्छे लाभ के लिए स्थानीय गजक कारीगर माल तैयार करने में जुटे हैं।