रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। इतना ही नहीं चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि यात्रा, खेती और लड़ाई कितने लोगों के साथ मिलकर करनी चाहिए?, आइये जानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने क्या बताया है।
खेती पांच के साथ: आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति में बताया है कि खेती करना आसान नहीं होता है। कोई भी शख्स अकेले खेती नहीं कर सकता है। खेती में बहुत से काम होते हैं जो एक-दूसरे की मदद से ही पूरे होते हैं। इसलिए खेती कम से कम 5 लोगों को मिलकर करनी चाहिए।
युद्ध बहुत लोगों के साथ: आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में बताया है कि युद्ध के समय जितने ज्यादा से ज्यादा लोग आपके पक्ष में होंगे, जीत की उतनी ही ज्यादा संभावना रहती है। इसलिए युद्ध पर जाते समय ज्यादा से ज्यादा लोगों को ले जाना चाहिए।
यात्रा चार के साथ: आचार्य चाणक्य कहा है कि यात्रा हमेशा चार लोगों के साथ करनी चाहिए। यात्रा करते समय कई तरह के जोखिम रहते हैं। इसलिए यात्रा के दौरान जितने कम लोग रहेंगे कोई घटना या दुर्घटना होने पर कम लोग चपेट में आयेंगे।