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हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है

By: RNI Hindi Desk 
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हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है

पोषक आहार का सेवन गर्भ अवस्था से ही लेना शुरू कर देना चाहिए, लेकिन आज कल हम आधुनिक व्यवस्था में फंसकर प्राचीन रीति रिवाज़ को भूलकर शारीरिक श्रम करना छोड़ते जा रहे है और यह ठीक नहीं है। पोषक तत्व बहुत जरुरी है क्यूंकि इससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

पहले घर के बुजुर्ग अनेक कार्यों में लिप्त रहते थे लेकिन अब आधुनिक जीवन शैली में सब कुछ बदलता जा रहा है और आजकल के बच्चे सर्जरी से पैदा हो रहे है।

सिर्फ 20 फीसदी लोग ही बच्चों पर पूरा ध्यान दे पाते है जबकि 30 फीसदी जानते है लेकिन कर नहीं पाते है। जबकि प्रसूता से ही बच्चे को सेवन मिलता है और आज कल की माँ तो बच्चों को दूध का सेवन भी नहीं करवाती है।

माँ के दूध का फायदा यह है की बच्चा जीवन भर के लिए अनेक बीमारियों से मुक्त हो जाता है और ऊर्जा प्राप्त करता है। यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ है और रोग मुक्त है तो निश्चित ही आपके शुक्राणु भी बलवान होंगे और नवजात शिशु भी हष्ट पुष्ट होगा।

यदि दोनों पति पत्नी अच्छे तरीके से संतान पैदा करे तो बच्चा बलवान होगा। इसलिए ही पहले राजा इच्छा अनुसार पुत्र प्राप्त करते थे।

वो विद्वानों से नक्षत्र और मुहूर्त देखकर संतान उत्पन्न करते थे तो योद्धा वीर, धार्मिक और संतों का आदर करने वाला होता था। इसलिए आपको अपने परिवार के लिए ऐसा आहार लेना चाहिए जो सभी प्रकार से पौष्टिक हो, ऐसी उनके चीज़े हमारे आस पास मौजूद है।

जितने भी मोटे अनाज है वो पौष्टिक होते है। सिर्फ बैठे रहने से काम नहीं होगा इसके लिए आपको मेहनत करनी होगी। हमें इसे समझने की जरूरत है और जीवन को सार्थक बनाने की आवश्यकता है।

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