बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने रविवार को संगठन में बड़ा फेरबदल किया
यूपी : हाल ही में विधानसभा की सात सीटों पर हुए चुनाव में मिली करारी हार के बाद बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने रविवार को संगठन में बड़ा फेरबदल किया। उन्होंने मऊ जिले के रहने वाले आजमगढ़ मंडल के कोऑर्डिनेटर भीम राजभर को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।
इसे बसपा की राजभर वोट को अपने पाले में करने की कवायद मानी जा रही है। भीम राजभर, पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली की जगह लेंगे।
दरअसल, यूपी के पूर्वांचल में मऊ, आजमगढ़, वाराणसी, आदि जिलों में राजभर जाति निर्णायक भूमिका में है। दलित अभी भी मायावती के साथ है, लेकिन अन्य जातियों में भाजपा ने सेंधमारी कर ली है। इसका असर 2014 से लेकर अब तक हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव में साफ देखने को मिला है।
ऐसे में बसपा को अपना खोया हुआ जनाधार बचाना चुनौती है। मुस्लिम भी मायावती से हट गए। मुनकाद अली पर मुस्लिम वोटरों को बसपा को पक्ष में बनाए रखने में असफल होने के भी आरोप लगते रहे। यही वजह है कि मायावती अब पिछड़ा वर्ग का दांव खेल रही हैं।
इससे पहले बसपा प्रमुख ने बीते सिंतबर माह 2020 में यूपी प्रदेश अध्यक्ष से हटाए गए पूर्व सांसद मुनकाद अली को उत्तराखंड प्रभारी के पद मुक्त किया था। मुनकाद अली ने अलीगढ़ आगरा मंडल के सेक्टर से बदलकर अब पूर्वांचल के चार मंडलों की जिम्मेदारी अपने को मिलने का बात मानी है।
सूत्रों के मुताबिक आगरा अलीगढ़ मंडल के सेक्टर पर नौशाद अली को मुनकाद अली की जगह लगाया गया हैं, वह गोरेलाल जाटव के साथ संगठन का काम रहे हैं।
सितंबर 2019 में बनाए गए प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली के बसपा छोड़ने की चर्चा पार्टी में चल रही है। वहीं यूपी में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा की मुस्लिम विधायकों के द्वारा किए गए बगावत को न रोक पाने बड़ी वजह मानी जा रही है।
मुनकाद अली लगातार पार्टी में मुस्लिम को जोड़ पाने में असफल दिखाए दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मुनकाद अली बसपा पार्टी छोड़कर भीम आर्मी या सपा पार्टी जॉइन कर सकते हैं।
इसी बीच देवरिया में बसपा को झटका भी लगा है। यहां उप चुनाव में उम्मीदवार रहे अभयनाथ त्रिपाठी ने बसपा से त्यागपत्र दे दिया है और पार्टी के कई नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अभयनाथ त्रिपाठी ने कहा कि, उन्होंने पार्टी की गलत नीतियों के चलते इस्तीफा दिया है। उन्होंने पार्टी के कोआर्डिनेटरों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया।
कहा कि बसपा अपने मूल उद्देश्यों से भटक गई है। अब केवल परिवारवाद व निजी स्वार्थ पर काम कर रही है। जनता भविष्य में इसका जवाब देगी। उन्होंने कहा कि मैं जनता की सेवा करने के लिए राजनीति में आया हूं और आगे भी करता रहूंगा। बता दें कि साल 2017 में अभयनाथ त्रिपाठी विधानसभा के आम चुनाव में भी बसपा के प्रत्याशी थे और उपचुनाव में भी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। लेकिन दोनों में उन्हें हार मिली।