एक वक्त था जब अमरीश पुरी कई फिल्मों में अपनी नेगेटिव भूमिका के लिए मशहूर थे। लेकिन अमरीश पुरी को शुरूआती दौर में एक डायरेक्टर ने रिजेक्ट कर दिया था।
मुंबई: यदि हिंदी फिल्मों के सौ साल से अधिक के सफर को देखा जाए तो शायद ही अमरीश पुरी से बेहतर विलेन कोई हिंदी फिल्मों में रहा होगा। एक वक्त था जब अमरीश पुरी कई फिल्मों में अपनी नेगेटिव भूमिका के लिए मशहूर थे। लेकिन अमरीश पुरी को शुरूआती दौर में एक डायरेक्टर ने रिजेक्ट कर दिया था।
दिग्गज कलाकार अमरीश पुरी आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी फिल्मों के माध्यम से वे आज भी कई किरदारों में जिंदा हैं। अमरीश पुरी बॉलीवुड जगत में हीरो बनने की हैसियत से आए थे लेकिन किस्मत ने उन्हें विलेन बना दिया।
1984 में अमरीश पुरी को फिल्म ‘इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम’ Indiana Jones and the Temple of Doom में देखा था। जिसमें उन्होनें मोलाराम का किरदार निभाया। इसके बाद उनकी अभिनय कला को पहचान मिली। इस किरदार के लिए उन्होनें अपना सिर मुंडवाया था। जो पुरी को इतना पसंद आया कि वह उसी लुक में कई सालों तक रहे। इसके बाद इस लुक को दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया गया
80 के दशक में उन्होंने बतौर खलनायक कई प्रसिद्ध भूमिकाएं निभाईं। हम पांच, नसीब, विधाता, हीरो, अंधा कानून, अर्ध सत्य जैसी फिल्मों में उन्होंने बतौर खलनायक ऐसी छाप छोड़ी कि फिल्म प्रेमियों के मन में उनके नाम से ही खौफ पैदा हो जाता था।
साल 1987 में आई मिस्टर इंडिया में उनका किरदार मोगैंबो बेहद मशहूर हुआ। इस किरदार से उनकी लोकप्रियता काफी ज़्यादा बढ़ चुकी थी। इसके बाद दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे में जा सिमरन जा… वाली लाइन के लिए भी अमरीश पुरी को पहचाना जाता है।
अमरीश पुरी ने 30 वर्ष से भी ज्यादा वक्त तक फिल्मों में अभिनय किया है और नकारात्मक भूमिकाओं हिंदी सिनेमा में खूब पंसद किया। देखते ही देखते फिल्मों के जरिए लोगों के बीच खलनायक बन गए।