मशहूर इस्लामिक स्कॉलर और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना डॉ. कल्बे सादिक का मंगलवार रात निधन हो गया। 81 साल की उम्र में मौलाना कल्बे सादिक का निधन हुआ। उन्होंने रात 10 लखनऊ के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली।
बताया गया कि उनकी तबीयत लंबे समय से ख़राब चल रही थी। 17 नवंबर को मौलाना कल्बे सादिक को सांस लेने में दिक्कत होने के चलते एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती करया गया था, जहां आज रात उपचार के दौरान उनका निधन हो गया।
यह जानकारी उनके बेटे सिब्तेन नूरी ने मीडिया से साझा की। आप को बता दे कि इससे पहले भी गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में वे काफी समय तक अपना इलाज करवाते रहे जहां उनसे मिलने देश के मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी समेत कई दिग्गज पहुंचे थे।
समाजवादी पार्टी ने भी ट्वीट कर मौलाना कल्बे सादिक के निधन पर दु:ख व्यक्त किया है। ट्वीट करते हुए लिखा कि शिया धर्मगुरु और इस्लामिक स्कॉलर मौलाना डॉ. कल्बे सादिक़ साहब का लखनऊ में इंतक़ाल अत्यंत दुखद! शोकाकुल परिवार एवं उनके सभी चाहने वालों के प्रति गहन संवेदना! भावभीनी श्रद्धांजलि!
शिया धर्मगुरु और इस्लामिक स्कॉलर मौलाना डॉ. कल्बे सादिक़ साहब का लखनऊ में इंतक़ाल अत्यंत दुखद!
शोकाकुल परिवार एवं उनके सभी चाहने वालों के प्रति गहन संवेदना!
भावभीनी श्रद्धांजलि! pic.twitter.com/Bd6j7zxtJn
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 24, 2020
बता दें कि मौलाना कल्बे सादिक देश के सबसे बड़े शिया मज़हबी रहनुमा थे और उनकी शिया सुन्नियों को एक करने की कोशिशों को हमेशा याद किया जाएगा। इसके अलावा तालीमी मैदान में भी उन्होंने अथक मेहनत की है। कहा यह भी जाता है कि मौलना कल्बे सादिक उर्दू बोलने वाले दुनिया के सबसे बड़े शिया धर्मगुरु थे।
कल्बे सादिक लंबे समय से आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष थे। वह लड़कियों और निर्धन बच्चों की शिक्षा के लिए हमेशा अग्रणी भीमिका निभाते थे। साथ ही यूनिटी कॉलेज और एरा मेडिकल कॉलेज के संरक्षक भी थे।
सादिक को पूरी दुनिया में आपसी भाईचारे और मोहब्बत का पैगाम देते शिया धर्म गुरु के रूप में जाना जाता था। वह विदेशों में मजलिस पढ़ने जाया करते थे और मोहब्बत का पैगाम देते थे।
मौलाना कल्बे सादिक का जन्म लखनऊ में 22 जून 1939 को हुआ था। उन्होंने एएमयू से मास्टर डिग्री की और लखनऊ यूनिवर्सिटी से पीएचडी अरेबिक लिटरेचर में की। उनके पिता खुद इस्लामिक स्कॉलर थे। कल्बे सादिक हमेशा हक के रास्ते पर चलते थे।
उन्होंने मुस्लिम स्कॉलर होने के साथ-साथ इंसानियत का पैगाम हमेशा दिया। कल्बे सादिक लखनऊ में ईरा मेडिकल कॉलेज के अध्यक्ष भी थे। उनके इस कॉलेज से निकले ना जाने कितने छात्र आज ऊंचे पदों पर तैनात हैं। वे गरीब लोगों के साथ हमेशा खड़े मिलते थे। हर धर्म के लोग उनकी बहुत इज्ज़त करते थे।