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आचार्य चाणक्य ने ऐसे घरों को बताया है सुखी, जानें चाणक्य की नीति

By: RNI Hindi Desk 
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आचार्य चाणक्य ने ऐसे घरों को बताया है सुखी, जानें चाणक्य की नीति

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। इतना ही नहीं चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि कैसे घर में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में…

सानन्दं सदनं सुताश्च सधिय: कांता प्रियालापिनी इच्छापूर्तिधनं स्वयोषितिरति: स्वाज्ञापरा: सेवका:।

आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मिष्टान्नपानं गृहे साधो: संगमुपासते च सततं धन्यो गृहस्थाश्रमः।।

आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से बाताया है कि वही घर सुखी होता है, जिसके घर के बच्चे बुद्धिमान हो, घर की स्त्री मीठा बोलने वाली हो, परिश्रम करने वाला व्यक्ति हो, इमानदारी से कमया हुआ धन हो,नौकर आज्ञा का पालन करने वाला हो ऐसे घर के लोग सुखी होते हैं।

आचार्य चाणक्य ने तर्क दिया है कि जिस घर में मेहमानों का सम्मान होता है, भगवान की पूजा होती है। शाकाहारी भोजन होता है, ऐसी गृहस्त्र आश्रम धन्य है। आचार्य चाणक्य ने कहा कि ऐसा घर सुखी और आनंददाता होता है।

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