रिपोर्ट: मोहम्मद आबिद
लखनऊ: मछलियों को पालने के साथ साथ भोजन का भी काफी लोग शौक रखते हैं लेकि आज हम आपके एक ऐसी खबर से रूबारू करवा रहे हैं जिसे पढ़कर आप भी चौंक जाएंगे। लखनऊ के दुबग्गा मछली मंडी में थाई मांगुर से भरा ट्रक पहुंचने से हड़कंप मच गया, मत्यस्य अधिकारियों को जैसे ही इसकी खबर लगी वो तुरंत मौके पर पहुंचे और थाई मांगुर से भरे ट्रक को जब्त कर लिया बाद में अधिकारियों ने थाई मांगुर से भरे ट्रक को बाहर ले जाकर ट्रक की पूरी मछलियों को एक गड्ढा खोदकर दफना दिया गया।
छोटे – बड़े तालाबों से लेकर गंगा, यमुना नदी तक पैठ बना चुकी ‘थाई मांगुर’ या अफ्रीकन कैट फिश देशज मछलियों व जलीय वनस्पतियों पर भारी पड़ रही है। मिनटों में मरे जानवर, बूचड़खाने का अवशेष चट कर जाने वाली यह विदेशी मछली मत्स्य विकास के समक्ष बड़ी चुनौती साबित हो रही है। सख्त नियमों के अभाव में जहां इसके व्यापार पर प्रभावी रोक नहीं लग पा रही है वहीं अधिक धन कमाने के लालच में लोग चोरी-छिपे इसका पालन कर जाने-अनजाने जैव विविधता के लिए गंभीर समस्या खड़ी कर रहे हैं।
बता दें कि देवा के पास अम्हराई गांव में बड़े पैमाने पर इसका पालन किया जा रहा है। राजधानी में हर रोज टनों ‘थाई मांगुर’ बाजार में बिकने के लिए लाई जाती है। दिल्ली में इसकी सबसे बड़ी मंडी है। थाईलैंड में विकसित की गई मांसाहारी मछली की विशेषता यह है कि विपरीत परिस्थितियों में भी यह तेजी से बढ़ती है। यह पानी में मौजूद छोटी-बड़ी मछलियों और जलीय वनस्पतियों को भी यह खा जाती है।
थाई मांगुर भारत में बैन है इसे अफ्रीकन कैट फिश के नाम से भी जानते हैं. इसे खाने से कैंसर जैसी घातक बीमारियां हो सकती हैं. ये मछली थाईलैंड से बांग्लादेश के रास्ते होते हुए भारत पहुंची है. ये मछली सड़ा गला मांस, स्लॉटर हाउस का कचरा खाकर तेजी से बढ़ती है, नदियों के इको सिस्टम के लिए भी खतरा है ये मछली नदियों में मौजूद जलीय जीव जन्तुओं और पौधों को भी खा जाती है और इसका व्यापार भी प्रतिबंधित है।