{ श्री अचल सागर जी महाराज की कमल से }
उस परवरदिगार ने इस दुनिया को बनाते वक़्त यह नहीं सोचा होगा की जिसे मैं इंसान बना रहा हु एक दिन वही इंसान जुल्मों सितम की दास्तान लिख देगा। जो खुद ही अपने जिगर में खुदाई का ज़ज़्बा पैदा करके खुदा बन जाएगा।
इंसान ही इंसान को आज बेवजह प्रताड़ित करने की कोशिश कर रहा है जबकि हक़ीक़त यह है कि एक इंसान को दूसरे इंसान के साथ मेहमान नवाजी के साथ सलूक करना चाहिए। देखा ना जाये कितनी मन्नतों के बाद एक माता पिता को संतान नसीब होती है।
इसके बाद भी पता नहीं क्यों हम एक दूसरे के प्रति विरोधी नजरिया रखते है और कई बार तो इन लड़ाइयों में ना जाने कितने घरों के चिराग बुझ जाते है। जबकि किसी के भी प्रति दुश्मनी की भावना रखना तक खुदा की नज़र में एक गुनाह है।
हमे खुदा ने एक नेक इंसान बनाकर भेजा है तो इंसान होते हुए कोशिश करे की हम जल्लाद नहीं बने, याद रखना दूसरों को मारने वाले को ज़न्नत नसीब नहीं होती है।
हमे सिर्फ गुमराह किया जाता है आप सीधे आतंकी बनकर ज़न्नत में जायेगे। हमारे दिमाग को काबू में कर लिया जाता है , हम मर जाते है लेकिन हमे हासिल क्या होता है ?
आप देखिये की लादेन और बगदादी क्या लेकर गए खुदा के पास ? खुदा ने अपने बन्दों को अक्ल बख्शी है और हमें उसका इस्तेमाल करना चाहिए।
हमे किसी और को नहीं मारना है और ना ही किसी का घर जलाना है। इंसान है हम इंसान बनकर ज़िन्दगी बिताएंगे, बर्बाद होने से सदा इस मुल्क को बचायेगे, अल्लाह के फरमान सदा दिल में बिठायेंगे।