नई दिल्ली : कोविड प्रबंधन मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कल वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी नियुक्त होने के चंद घंटों बाद ही साल्वे ने आज कोर्ट के सामने हटने का अनुरोध किया है। साल्वे ने कहा कि, “मैं नहीं चाहता कि मामले में फैसले के पीछे यह कहा जाए कि मैं चीफ जस्टिस को जानता हूं।”
हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में कोविड संबंधित मामले में न्याय मित्र बनाए जाने पर कुछ वकीलों द्वारा आलोचना किए जाने का जिक्र किया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “हमें भी यह जानकर बहुत तकलीफ हो रही है कि कोविड संबंधित मामले में साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त करने पर कुछ वकील क्या कह रहे हैं।” इसके बाद कोर्ट ने हरीश साल्वे को कोविड-19 पर राष्ट्रीय योजना संबंधित स्वत: संज्ञान के मामले में न्याय मित्र के तौर पर हटने की अनुमति दे दी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश पढ़े बिना टिप्पणी करने के लिए कुछ वरिष्ठ वकीलों को फटकार लगाई और कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट से मामलों को अपने पास नहीं भेजा है। कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा कि, आपने हमारा आदेश पढ़े बिना ही हमपर आरोप लगा दिया है। हमने एक शब्द भी नहीं कहा है और न ही हाईकोर्ट को रोका है, हमने केंद्र से हाईकोर्ट का रुख करने और उन्हें रिपोर्ट देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट अब कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान आवश्यक सामग्रियों और सेवाओं के वितरण से संबंधित स्वत: संज्ञान वाले मामले में 27 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कोविड प्रबंधन का संज्ञान लिया और ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, टीकारण को लेकर केंद्र से राष्ट्रीय योजना के बारे में पूछा था। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि, “हम इस मुद्दे पर एक राष्ट्रीय योजना देखना चाहते हैं।” साथ ही पीठ ने मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया था।
पीठ ने कहा कि, “हम चार मुद्दों के संबंध में जानना चाहते हैं ऑक्सीजन की आपूर्ति, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति, टीकाकरण का तरीका, विधि और हम राज्यों के साथ लॉकडाउन की घोषणा करने की शक्ति रखना चाहते हैं।”
पीठ ने कहा कि छह हाईकोर्ट दिल्ली, बॉम्बे, सिक्किम, मध्य प्रदेश, कलकत्ता और इलाहाबाद कोविड प्रबंधन से संबंधित मुद्दों से निपट रहे थे और यह भ्रम पैदा कर रहा था। हम एक अदालत के रूप में कुछ मुद्दों पर आत्म-प्रेरणा संज्ञान लेना चाहते हैं। हाईकोर्ट सर्वश्रेष्ठ हित में अधिकार क्षेत्र का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन यह संसाधनों का भ्रम और विचलन पैदा कर रहा है।
आपको बता दें कि देशभर में हाईकोर्ट ऑक्सीजन आपूर्ति के संकट, अस्पतालों में बेड और अस्पतालों में दवाओं की कमी दूर करने की याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं।