दशमहाविद्या अर्थात महान विद्या रूपी देवी, महाविद्या, देवी दुर्गा के दस रूप हैं, इन्हें दस महाविद्या के नाम से भी जाना जाता है। ये दसों महाविद्याएं आदि शक्ति माता पार्वती की ही रूप मानी जाती हैं। इनकी पूजा से साधकों को शक्ति और भक्ति प्राप्त होती है।
दरअसल इन 10 महाविद्याओं की प्रमुख देवी काली को माना गया है, काली का स्वरुप उग्र है, वो भयानक है, कालि मतलब “कालिका” यानी समय कालिका, एक तरह से मृत्यु की देवी।
रक्तबीज के संहार के समय उनका तांडव इतना भयानक था कि शिव जी को खुद उनके सामने आकर लेटना पड़ा ताकि उनकी शक्ति से भू लोक को कोई नुकसान नहीं हो।
काली को प्रतिमा के नीचे आपकों शिव जी लेटे हुए दिखाई देते है और यह प्रतीक है की ,समय सबसे बलवान होता है, समय को दर्शाती काली जब उग्र हुई तो तांडव के अधिष्ठाता शिव को भी पैरों के नीचे आना पड़ा।
देवी पुराण में वर्णन है कि एक बार दरुका नामक राक्षस को मारने के लिये भगवान शिवजी ने माता पार्वती को यह काम सौपा था।
क्योंकिभोले नाथ ने स्वयम ही दरूका राक्षस को वरदान दिया था कि तुम्हे सिर्फ औरत से ही भय है. और दरुका को मारने के लिये शिव से शक्ति की उत्पत्ति हुई।