रिपोर्ट: सत्यम दुबे
रायपुरप: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिला में शनिवार को नक्सलियों द्वारा किये हमले में 24 जवान शदीह हो गये हैं। इससे पूरे देश दहल गया है। इतनी बड़ी संख्या में वीर जवानों की शहादत को कोई स्वीकार करने तो तैयार नहीं हो रहा। जवानों पर हुए इस हमले से देश में तो गुस्सा है ही, इसके अलावा इस हमले की गूंज अमेरिका तक पहुंच गई है।
घायल जवानों ने बताया कि नक्सलियों की गांववालों ने मदद की। उन्होने आगे कहा कि नक्सली पुलिसबल को फंसाने का ट्रैप लगाया था। इसमें गांववालों ने उनका साथ दिया। गांववालों ने पुलिसटीम को बातों में उलझाया और फिर नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। गृह मंत्री अमित शाह उस स्थल का दौरा करने पहुंचे हैं। इससे पहले वो घायल जवानों से अस्पताल में मिलने पहुंचे।
#WATCH: Union Home Minister Amit Shah and Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel lay wreath at the coffins of 14 security personnel who lost their lives in the Naxal attack, in Jagdalpu pic.twitter.com/fyHZSE6mjG
— ANI (@ANI) April 5, 2021
आपको बता दें कि पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी कि कुख्यात नक्सली कमांडर हिड़मा अपने गांव कुवंती आया है। सूचना मिलने के बाद 1500 जवानों की एक टीम सर्चिंग के लिए भेजी गई। वहां से जब टीम वापस लौट रही थी,इसीबाच नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया।
करीब 5 घंटे चले इस मुठभेंड में 24 जवान शहीद हो गए। जबकि बस्तर आईजी पी सुंदरराजन ने बताया कि इसमें 20-25 नक्सली भी मारे गए। पुलिस सूत्र यह संख्या 25-30 भी बता रहे हैं। इस दौरान नक्सलियों ने देसी रॉकेट लॉन्चर और लाइट मशीनगन (एलएमजी) का इस्तेमाल किया था। जहां यह हमला हुआ, वो नक्सलियों का बड़ा गढ़ माना जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम भूपेश बघेल ने नक्सल हमले को लेकर जगदलपुर में शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की है।
Chhattisgarh: Union Home Minister Amit Shah and CM Bhupesh Baghel hold a meeting with top officials in Jagdalpur, over the naxal attack in which 14 security personnel lost their lives. pic.twitter.com/sF5FPp4Hr8
— ANI (@ANI) April 5, 2021
यहीं से एक किमी दूर नक्सलियों के दुर्दांत कमांडर हिडमा का गांव है। डीआईजी(नक्सल ऑपरेशन) ओपी पाल ने बताया कि सुकमा-बीजापुर की सीमा पर जूनागढ़ गांव में यह मुठभेड़ हुई थी। पुलिस और अर्धसैनिकबल की टीम कई हिस्सों में बंटकर सर्चिंग कर रही थी। जबकि हिड़मा की माओवाद बटालियन ने यू आकार में उन्हें घेर लिया था। यानी पुलिसबल तीन तरफ से घेर ली गई थी। मैदान में पुलिसबल था, जबकि पहाड़ के ऊपर नक्सली।
जवानों पर नक्सलियों ने पहली बार हमला नहीं किया है, बल्कि जवान हमेशा ही नक्सली हमले का शिकार होते है। हम आपको बताते हैं कि कितनी बार नक्सलियों ने जवानों पर बड़ा हमला किया है।
रानीबोदली: 15 मार्च, 2007 को बीजापुर जिले के रानीबोदली कैंप पर नक्सलियों ने हमला किया था। इस हमले में 55 जवान शहीद हुए थे।
उरपलमेटा: 9 जुलाई 2007 में एर्राबोर के उरपलमेटा में सीआरपीएफ और ज़िला पुलिस का बल माओवादियों की तलाश कर के वापस बेस कैंप लौट रहा था। उसी दौरान माओवादियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में 23 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
मदनवाड़ा: 12 जुलाई, 2009 को राजनांदगांव के मानपुर इलाके में माओवादियों के हमले की सूचना पा कर पहुंचे पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार चौबे समेत 29 पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने हमला कर हत्या कर दी थी।
दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा से सुकमा जा रहे सुरक्षाबल के जवानों पर माओवादियों ने 17 मई 2010 में बारूदी सुरंग लगा कर हमला कर दिया था। इस हमले में 12 विशेष पुलिस अधिकारी सहित 36 लोग मारे गए थे।
झीरम: 25 मई 2013- बस्तर जिले के झीरम घाट में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला, 31 की जान गई थी।
सुकमा: 11 मार्च 2014- सुकमा जिले के टाहकवाड़ा में हमला, 15 जवान शहीद हो गये थे।
दरभा: 12 अप्रैल 2015 को बस्तर जिले के दरभा में एंबुलेंस को विस्फोट से उ़़डाया, 15 जवान, ड्राइवर स्वास्थ्यकर्मी शहीद हो गये थे।
कसालपाड़: 06 मई 2017- सुकमा के कसालपाड़ में घात लगाकर हमला, 14 जवान शहीद हो गये थे।
बुरकापाल: 25 अप्रैल 2017- सुकमा जिले के बुरकापाल में सीआरपीएफ जवानों पर हमला, 25 शहीद हुए थे।
मिनपा: 23 मार्च 2020 सुकमा जिले के मिनपा में जवानों पर हमला, 17 शहीद हो गये थे।
नारायणपुर: 23 मार्च 2021 नारायणपुर में जवानों की बस को विस्फोट से उ़़डाया, पांच शहीद हुए।