रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि गहरी और सच्ची दोस्ती को भी तोड़ देती हैं ये बातें।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिस तरह से किसान फसल को सर्दी, गर्मी और बरसात से बचाने के लिए दिन-रात एक करता है। ठीक उसी तरह से व्यक्ति को भी अपने रिश्ते को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए। ऐसा नहीं होने पर मित्रता नाम की डोर कमजोर पड़ती जाती है।
उन्होने आगे बताया है कि दुख-सुख में साथ देने वाला मित्र ही सच्चा होता है। दोस्ती करते समय व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए। कहा जाता है कि जब तक दोस्ती दिल की गहराई तक नहीं उतरती, तब तक मजबूत नहीं होती है।
आचार्य ने बताया है कि सच्ची मित्रता वही है जो खुद और दूसरों को भी गलत आदतों से दूर रहने के लिए प्रेरित करती है। गलत कार्यों पर न टोकने वाला व्यक्ति कभी आपका सच्चा मित्र नहीं हो सकता है। सच्चा मित्र कितना ही करीबी क्यों न हो, उसे अपनी मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए। मर्यादा का ध्यान नहीं रखने से दोस्ती या रिश्ता टूटने में समय नहीं लगता है।