हम सब इस बात को जानते है की महाभारत में भीष्म से बड़ा कोई बलशाली नहीं था और उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान था लेकिन उनकी मृत्यु का रहस्य कम लोग जानते है।
तो आज हम आपको बताते है कि उनकी मृत्यु का राज़ क्या था।
दरअसल शांतनु की मृत्यु के बाद विचित्रवीर्य सिंहासन बैठे तो उनके विवाह के लिए भीष्म ने बलपूर्वक काशीराज की 3 पुत्रियों का हरण कर लिया जिनके नाम अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका थे।
लेकिन बड़ी राजकुमारी अम्बा को छोड़ दिया गया, क्योंकि वह शाल्वराज को चाहती थी, भीष्म ने नियम के चलते उसे राजा के पास भेज दिया लेकिन राजा ने उसे स्वीकार नहीं किया।
अतः वह हस्तिनापुर लौटकर आ गई और भीष्म से बोली, अब आपको मुझसे विवाह करना होगा। भीष्म ने अपनी प्रतिज्ञा के कारण उसे ना कह दिया। अम्बा दुखी होकर परशुराम के पास गई।
परशुराम जी ने उसकी सहायता करने के लिए भीष्म से विवाह करने का निवेदन किया लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया और दोनों के बीच भयानक युद्ध हुआ।
बाद में खुद महादेव को यह युद्ध रोकना पड़ा और हताश अम्बा सती हो गयी और अगले जन्म में उसने शिखंडी के रूप में जन्म लिया।
कुरुक्षेत्र के युद्ध में १० वें दिन वह भीष्म के सामने आ गया और भीष्म उसे जान गए की ये अम्बा है।
भीष्म ने उस पर प्रहार नहीं किया और इसी का फायदा उठाकर अर्जुन ने बाणों की बौछार पितामह पर कर दी और बाणों की शैय्या पर उनको लिटा दिया।