रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि दो लोगों पर कभी ना आजमाएं जुबान की ताकत, कर देंगे अपने जीवन का सबसे बड़ा नुकसान।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में बताया है कि हमेशा बोलते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप किसके सामने और क्या बोल रहे हैं। जुबान की ताकत बहुत तेज और ताकतवर होती है। कई बार आप जो शब्द इस्तेमाल करते हैं, वो भले ही आपको इतने ज्यादा प्रभावशाली ना लगे लेकिन बहुत ज्यादा असर करते हैं। जिस तरह से धनुष से निकला बाण वापस नहीं लिया जा सकता ठीक उसी तरह जुबान से निकले शब्द वापस नहीं लिए जा सकते हैं। इसी वजह से जब भी आप बोले तो सोच समझकर ही बोलें।
उन्होने आगे बताया है कि असल जिंदगी में देखा गया है कि लोग जब बोलने पर आते हैं तो वो ये नहीं देखते कि उनके सामने कौन खड़ा है। यहां तक कि वो अपने माता-पिता को भी बिना सोचे समझे कुछ भी कह देते हैं। इससे जाहिर सी बात है कि आपके पेरेंट्स को तकलीफ होगी। उस वक्त अगर आपने अपने शब्दों पर कंट्रोल नहीं किया तो ये तकलीफ आपको भी जिंदगी भर होगी।
आचार्य चाणक्य ने बोलने को लेकर कहा है कि मनुष्य को अपनी जुबान की ताकत माता पिता पर भूल कर भी आजमानी नहीं चाहिए। कई लोग गुस्से में ना जाने क्या क्या कह देते हैं। लेकिन जब उनका गुस्सा ठंडा होता है और गलती का अहसास होता है, तो शब्दों को वापस लेना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। ऐसा करने वाला मनुष्य पाप का भोगी होता है।