मोदी सरकार एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को महामारी के प्रकोप से बाहर निकालने के लिए ऐसा कर सकती है। इस तिमाही में वित्त मंत्रालय ने 80 से अधिक सरकारी विभागों और मंत्रालयों पर नकदी के संरक्षण के लिए लगे प्रतिबंधों में ढील दी थी।
इसके अलावा, जब एक फरवरी को बजट पेश होगा, तो बजट को बढ़ाया जाएगा, जो अभी 30 लाख करोड़ रुपये है। इस तरह की चर्चाओं से जुड़े लोगों ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को यह जानकारी दी है। सूत्रों ने बताया कि यह जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं है और इसमें बदलाव हो सकता है।
अगर ऐसा होता है, तो काफी जरूरी खर्चों में विस्तार हो सकेगा, जिससे कोरोना वायरस महामारी के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी। यहां बता दें कि अप्रैल से शुरू हुए वित्त वर्ष में सात महीनों के दौरान अभी सरकारी खर्चे मुश्किल से अपने आधे लक्ष्य के पार पहुंचे हैं।
कोरोना वायरस महामारी से दुनिया में दूसरे सबसे बुरी तरह प्रभावित देश भारत में लंबे समय से चल रहे इस संकट का खात्मा करने में सरकारी खर्च काफी महत्वपूर्ण है। अप्रैल-जून तिमाही में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन प्रतिबंधों के चलते आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं। इसके चलते इस तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व मंदी दर्ज की गई थी।
बजट खर्च के अलावा, मोदी सरकार ने महामारी के प्रभाव से कारोबारों और नौकरियों को बचाने के लिए करीब 30 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के 15 फीसद के बराबर के राहत उपाओं की घोषणा की थी। हालांकि, इस पैकेज से कुछ अर्थशास्त्रियों ने यह कहकर निराशा जताई कि इसमें उपायों पर वास्तविक राजकोषीय लागत अधिकतर लोन गारंटी में थी।