रिपोर्ट : मोहम्मद आबिद
नैनिताल: श्रृंगार रस की होली का शुभारंभ राम सेवक सभा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया, यूं तो कुमाउं में होली का आगाज पौष माह के पहले रविवार से हो गया है। कुमाउं का इलाका एक ऐसा इलाका है जहां रंग की होली से करीब ढाई महीने पहले होली की शुरूआत हो जाती है। होली की यह अनौखी परंपरा कुमाउं में सदियों से चली आ रही है।
पौष माह के पहले रविवार के साथ ही कुमाउं की धरती में होली की शुरूआत हो गई है। इस अनूठी परंपरा में होली तीन चरणों में मनाई जाती है। बैठकी होली के माध्यम से पहले चरण में विरह की हाली गाई जाती है और बसंत पंचमी से होली गायन में श्रृंगार रस घुल जाता है।
बसंत प्रारंभ होने से खेतों में पीली सरसों लहराने लगती है और शृंगार रस घुलने लगता है इसके बाद महा शिवरात्री से होली के टीके तक राधा-कृष्ण और छेड़खानी-ठिठोली युक्त होली गायन चलता है। अंत में होली अपने पूरे रंग में पहुंच जाती है और रंगों के साथ खुलकर मनाई जाती है। नैनीताल में भी पौष माह के पहले रविवार से होली गायन शुरू हो गया है।
कुमाउं में हाली का इतिहास सदियों पुराना रहा है। करीब डेढ़ सौ साल पहले रामपुर के उस्ताद अमानत हुसैन ने कुमाउं में होली गीतों की शुरूआत की थी। और तब से लेकर आज तक कुमाउं में बैठकी और खड़ी होली इसी अंदाज में मनाई जाती है। जिसमें राग रागिनियों का प्रयोग किया जाता है पौष माह के पहले रविवार से चीड़ बंधन तक तकरीबन ढाई माह की यह होली में युवा पीढ़ी भी शिरकत करते नजर आ रही है।
अपनी संस्कृति और परंपरा को पिरोने के कार्य में जुटी है ताकि आने वाली पीढ़ी भी कुमाऊनी होली के स्वरूप को जाने और अपनाएं जिसको देखते हुए राम सेवक सभा द्वारा पौष माह के पहले रविवार से ही बैठ होली की कार्यशाला आएं चलाई जा रही हैं ताकि आने वाली पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ा जा सके।