फलित में सबसे पाप ग्रह माने जाने वाले शनि वक्री हो गए है ,शनि सबसे धीमा है और एक राशि में ढाई साल रहता है।
यही कारण है कि इसका गोचर फल असामान्य होता है क्यूंकि एक तरफ ये जनता का कारक होता है वही दूसरी और न्याय का कारक होता है।
शनि जब वक्री होता है तो उसके फल में तीव्रता आती है। 23 सितम्बर तक शनि वक्री ही रहेगा ,इस दौरान वो अपनी मकर राशि में ही उलटी चाल चलेगा।
इस समय गुरु वही है लेकिन 30 जून को गुरु वापिस धनु में आ जायेगे जहां केतु बैठा है।
इस दौरान मनुष्य को विशेष ध्यान रखना होता है। खास तौर से वो जिनकी ढैया और साढ़े साती चल रही हो। इस समय मिथुन और तुला राशि की ढैया है। इसके अलावा मकर, धनु और कुंभ की साढ़े साती है।
कुम्भ की शुरू हुई है, धनु का आखिरी चरण है वही मकर के लग्न में शनि यानी मध्य में है। इस दौरान कोई भी निवेश सोच समझ कर करे। वाद विवाद न करे। अनावश्यक यात्रा नहीं करे।
अगर इस दौरान नकारात्मक फल प्राप्त होते है तो हनुमान जी के उपाय करे।
रोज़ हनुमान चालीसा पढ़े ! हो सके तो सुन्दरकाण्ड का पाठ करवाएं। झूठ नहीं बोले। अन्याय नहीं करे। नीचे काम कर रहे लोगों को निराश नहीं करे।
शनि नौकर, मजदुर, श्रमिक वर्ग का कारक है। अगर आप इन्हे दुःखी करते है तो उपाय कोई काम नहीं करता है। फलित में ग्रह सिर्फ अपने कारक से प्रसन्न होता है।
इसके अलावा रोज़ “श्री राम जय राम जय जय राम ” के नाम की एक माला करे। इससे असर पड़ता है।