हम सब इस बात को जानते है या आपने किसी से ये जरुर सुना होगा की शनि की कुंडली में स्थिति अगर ख़राब हो तो जातक को जीवन में अपने कर्मो का सही फल नहीं मिल पाता है ,इसके अलावा उसे कार्यों में असफलता भी मिलती है।
इसके अलावा जब व्यक्ति की साढ़े साती आती है तो भी वो शनि के अशुभ परिणाम प्राप्त करता है। शनि के अशुभ प्रभाव को ठीक करने के लिए हनुमान जी की आराधना की जाती है और इसके पीछे एक रोचक कथा है।
दरअसल एक बार हनुमान जी राम जी की आराधना कर रहे थे। वही से शनि देव जी गुजरे और उनके मन में शरारत सूझी। उन्होंने सोचा की हनुमान जी को परेशान किया जाए।
इसके लिए वो हनुमान जी को परेशान करने लगे। एक बार के लिए तो हनुमान जी ने उनसे कहा कि आप मुझे परेशान नहीं करे लेकिन शनि देव नहीं माने। इसके बाद हनुमान जी ने सोचा की ये मेरी बात तो मान नहीं रहे तो उन्होंने शनि देव को पूंछ में लपेट लिया।
जैसे ही हनुमान जी ने शनि देव को पूंछ में लपेटा उन्हें जकड़न लगने लगी। वो दर्द के मारे कराहने लगे लेकिन हनुमान जी थे की राम नाम की सेवा में लगे रहे। जब हनुमान जी का कार्य पूरा हुआ तो उन्हें शनि देव की याद आई।
उन्होंने शनि देव को अपनी पूंछ की पकड़ से मुक्त कर दिया। लेकिन जब हनुमान जी इधर उधर घूम रहे थे तो शनि देव के शरीर में चोट लग रही थी। हनुमान जी ने जब उन्हें देखा तो उन्होंने उनसे कहा की बताइये की अब क्या किया जाए ?
इसके बाद शनि देव ने हनुमान जी से विनती करते हुए कहा कि आप मेरी चोट पर सरसों का तेल लगा दीजिये। इसके बाद हनुमान जी ने ऐसे ही किया और उनकी पीड़ा शांत हुई।
इस घटना के बाद शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया की जो भी व्यक्ति आपका नाम सुमिरन करके मेरे ऊपर तेल अर्पित करेगा मैं उसे कभी भी कष्ट नहीं दूंगा। इसी दिन के बाद शनि देव की पीड़ा से मुक्ति के लिए हनुमान जी की पूजा करने का विधान है।