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Navratri 2021: नवरात्रि के नौवें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानिए क्या है पूजा विधा और शुभ मुहूर्त

Navratri 2021: Worship Maa Siddhidatri on the ninth day of Navratri, नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इन्हें आदि शक्ति भगवती के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक का समापन हो जाता है।

By: Amit ranjan 
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Navratri 2021: नवरात्रि के नौवें दिन करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानिए क्या है पूजा विधा और शुभ मुहूर्त

नई दिल्ली : शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का अंतिम दिन महानवमी (Maha Navami) मनाया जाता है, जो इस साल 14 अक्टूबर यानी गुरुवार को है। नवरात्रि (Navratri 2021) के नौवें दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के 9वें स्वरूप मां सिद्धिदात्री (Maa Siddhidatri) की पूजा-आराधना की जाती है। इन्हें आदि शक्ति भगवती के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से सभी प्रकार के भय, रोग और शोक का समापन हो जाता है। मां सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। अनहोनी से भी सुरक्षा प्राप्त होता है और मृत्यु पश्चात मोक्ष भी मिलता है। महानवमी के दिन कन्या पूजन और नवरात्रि हवन का भी विधान है।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप:

चार भुजाओं वाली मां सिद्धिदात्री लाल रंग की साड़ी पहने हुए कमल के आसन पर विराजमान हैं. उनके दाहिनी ओर नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा, बाई ओर से नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है। मां का स्वरुप आभामंडल से युक्त है। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री का तप किया तब जाकर उन्हें सिद्धियां प्राप्त हुई। देवी के आशीर्वाद के कारण ही भगवान शिव अर्द्धनारीश्वर के रूप में जाने गए।

महानवमी तिथि मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि 2021 की महा नवमी तिथि 13 अक्टूबर को रात 8:07 बजे से शुरू होकर 14 अक्टूबर को शाम 6.52 बजे समाप्त होगी।

मां सिद्धिदात्री पूजा विधि

नवमी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान आदि करके साफ कपड़ा धारण करें। उसके बाद कलश स्थापना के स्थान पर जाकर मां सिद्धिदात्री की प्रतिमा स्थापित करें। फिर मातारानी को अक्षत्, पुष्प, धूप, सिंदूर, गंध, फल आदि समर्पित करें। उनको ​विशेषकर तिल का भोग लगाएं। उसके बाद धूप-दीप, अगरवत्ती जलाकर आरती करें। अब मां के बीज मन्त्रों का जाप करें। उसके बाद अंत में मां सिद्धिदात्री की आरती कर दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करें और मां का आशीर्वाद लें।

 

मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

 

मां सिद्धिदात्री का मंत्र:

या देवी सर्वभू‍तेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:

 

मां सिद्धिदात्री प्रार्थना मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी

 

पूजा मंत्र

अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।

मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।

ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।

 

महानवमी 2021: कन्या पूजा एवं हवन

यदि आपके घर महानवमी के दिन कन्या पूजन और हवन की परंपरा है, तो मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद हवन विधि विधान से करें। इसके पश्चात 02 से 10 वर्ष की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें। विधिपूर्व​क कन्या पूजन करें और उनको उपहार एवं दक्षिणा देकर आशीष लें।

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