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महाशिवरात्रि: आखिर चंद्रमा को मस्तक पर क्यों धारण करते है शिव ?

By RNI Hindi Desk 
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हिन्दू संस्कृति में महा शिवरात्रि को साधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है, इस पावन दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा और व्रत किया जाता है। इस साल शुक्रवार, 21 फरवरी, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।

अगर आप भगवान शिव की छवि को देखे तो उन्होंने अपने मस्तक पर चंद्रमा को धारण किया हुआ है लेकिन क्या आप जानते है कि इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है और वो दक्ष प्रजापति से जुड़ी हुई है।

दरअसल ये जो 27 नक्षत्र है वो दक्ष प्रजापति कि 27 कन्यायें है जिनका विवाह उन्होंने चन्द्रमा से किया था, उनमें से रोहिणी चंद्र को अति प्रिय थी जिसके कारण उनका प्रेम बाकी पत्नियो को उचित रूप से प्राप्त नहीं होता था।

एक दिन उन्होंने इसकी शिकायत अपने पिता से कर दी, दक्ष को क्रोध आ गया और उन्होंने चन्द्रमा को श्राप दिया कि तुम क्षय रोग से ग्रस्त हो जाओगे। शनै:-शनै: चंद्र क्षय रोग से ग्रसित होने लगे और उनकी कलाएं क्षीण होना प्रारंभ हो गईं।

चतुर्दशी आते आते चंद्रमा जब मरणासन्न अवस्था में जा पहुंचे तो उन्होंने भगवान आशुतोष का ध्यान किया और शिव ने उसी अवस्था में चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया और यही कारण है की तुलसीदास जी ने उत्तर कांड में रूद्र अष्टक में भी शिव की इस महिमा का वर्णन किया है।

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