हिन्दू पंचांग के अनुसार 5 जून ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा है और उसी के साथ इस माह का समापन हो जाएगा। लेकिन इसी दिन चंद्र ग्रहण भी होगा।
हालांकि राहत की बात यह है कि यह ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण है। इसकी तुलना वास्तविक ग्रहण से नहीं की जा सकती है। इसे पंचाँग की भाषा में मांद्य ग्रहण बोला जाता है।
इस ग्रहण में चंद्रमा के आकार में बदलाव नहीं होगा। वृश्चिक और ज्येष्ठा नक्षत्र में ये ग्रहण होगा।
इस ग्रहण में कोई भी सूतक काल नहीं होगा इसलिए पूर्णिमा से जुड़े सभी कार्य आसानी से भक्तजन कर सकते है।
हर माह पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा की जाती है और इससे भगवान विष्णु की कृपा सदैव अपने भक्त पर बनी रहती है।
ग्रहण काल के दौरान कई चीज़ों की मनाही होती है यथा मंदिर जाना, देयताओं की मूर्ति को छूना, सम्भोग करना, नाख़ून काटना, गर्भवती महिला का बाहर जाना, खाना खाना, शुभ कार्य करना।
ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर भगवान विष्णु के दर्शन करने का विधान है। उसके बाद वस्त्र और अनाज का दान उत्तम माना गया है।