नई दिल्ली : अभी तक आपने तलाक के ऐसे कई मामले सुने होंगे, जिसमें पति द्वारा पत्नी को या पत्नी द्वारा पति को तलाक दिये जाने के बाद भी कोर्ट द्वारा पति को महिला का खर्च उठाने या कुछ मासिक देय निर्धारित रहता है, जिससे वे अपना जीवन-यापन कर सकें। क्योंकि कई बार पति अपनी पत्नी से अलग होने के बाद उसका खर्च नहीं उठाता है, जिसे लेकर उन्हें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। इन्हीं सब मामलों को लेकर उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं को बड़ा तोहफा दिया है।
कल उत्तराखंड कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया गया है कि अब पति की संपत्ति में महिलाएं भी सह-खातेदार होंगी। राजस्व रिकॉर्ड में पति की पैतृक संपत्ति में महिला का नाम दर्ज होगा, इससे जरूरत पड़ने पर उन्हें भी आसानी से लोन मिल सकेगा। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की महिलाओं को भूमि का सहखातेदार बनाने की घोषणा पर बुधवार को कैबिनेट की मुहर लगने पर प्रदेश की पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं को बड़ी राहत की उम्मीद है। इसी के साथ कैबिनेट ने बेटियों को पैतृक संपत्ति का अधिकार देने के प्रस्ताव पर भी मुहर लगा दी। संपत्ति पर हक न होने के कारण महिलाओं को बैंक लोन नहीं मिल रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए ही यह घोषणा की गई थी। महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को भी इससे राहत मिलने की उम्मीद है।
यह व्यवस्था की गई
महिलाओं को भूमि पर सहखातेदार का अधिकार देने के लिए राजस्व विभाग ने जमींदारी विनाश अधिनियम की धारा-130 में नई धारा 130(1)को जोड़ने का प्रस्ताव किया है। इसमें कुछ शर्तें भी जोड़ी गईं हैं। शर्तों के मुताबिक महिलाओं को यह अधिकार मात्र पैतृक संपत्ति पर ही मिलेगा। तलाक होने पर यह अधिकार खुद ही समाप्त हो जाएगा।
संक्रमणीय अंतरणीय अधिकार वाले भूमिधर पुरुष के जीवन काल में जीवन यापन करने वाली पत्नी ही सहखातेदार होगी। अभी तक विधवा, पुत्र और अविवाहित महिला का ही विरासत की भूमि पर हक था। अब इसमें संतानहीन, परित्यक्ता पुत्री को भी यह अधिकार दिया गया है। परित्यक्ता को भी परिभाषित किया गया है और इसमें सात साल तक पति का पता न लगने पर परित्यक्ता मान लेने का प्रावधान जोड़ा गया है।