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सांसदों का निलंबन वापस न लिया गया तो उठती रहेगी आवाज़ :विपक्ष

If the suspension of MPs is not withdrawn, the voice will continue to rise Opposition; राज्यसभा में नेता प्रतिपक्षMallikarjun Khargr ने मीडिया से बात करते हुए कहा चेयरमैन से हम कई बार कह चुके हैं हमारी कोई ग़लती नहीं

By: RNI Hindi Desk 
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सांसदों का निलंबन वापस न लिया गया तो उठती रहेगी आवाज़ :विपक्ष

मुमताज़ आलम रिज़वी  

नई दिल्ली :12 सांसदों के निलंबन पर विपक्ष सरकार से दो दो हाथ करने के लिए तैयार है। कांग्रेस ने साफ़ कर दिया है कि जब तक निलंबन वापस नहीं लिया जायेगा मांग जारी रहेगी। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिका अर्जुन खरगे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आपको मालूम है कि हम सतत् 6-7 दिन से जिन सदस्यों को सस्पेंड किया गया है, उनके सस्पेंशन को रिवोक करने की मांग को लेकर सदन में हमारी बात रख रहे हैं और चेयरमैन से हम बहुत बार विनती कर चुके हैं कि हमारी कोई गलती नहीं, फिर भी हमें बहुत बड़ी सजा दी गई है और ये सस्पेंशन, मैंने बताया कि रुल्स के खिलाफ भी है और संविधान के उसूलों के आर्टिकल 85 के खिलाफ भी है। लेकिन फिर भी वो अपने ही निर्णय पर अड़े हुए हैं। हम ये नहीं चाहते कि सदन ऐसे ही चले, लेकिन वो हमें फोर्स कर रहे हैं कि ऐसा जो भी सस्पेंशन हो गया है, उसके बारे में लोग उठाएंगे, फिर सदन नहीं चलना और कोई मुद्दा नहीं उठाना, चाहे वो फॉर्मर का हो, चाहे पेगासस का हो, चाहे वो इन्फ्लेशन का हो, चाहे पेट्रोल-डीजल का है और नागालैड़ का इशू, वो नहीं चाहते कि ये मुद्दे सदन में उठें। हम बार-बार अपील करते हैं, हम 11 बजे अपील करते हैं, फिर जाकर मिलते भी हैं उनसे, फिर भी वो अपनी ही बातों पर अड़े हुए हैं। इसलिए आज फिर हमने वही मुद्दा उठाया और हमने उनको ये कहा कि ये ठीक नहीं है। कृपा करके आप सस्पेंशन को रिवोक करें। तो वो कह रहे हैं कि माफी मांगनी चाहिए। किस चीज के लिए माफी, क्या रुल्स के खिलाफ हमने कोई काम किया है, क्या संविधान के खिलाफ हमने कोई काम किया है – नहीं। लेकिन वो बार-बार हमें ये बात बता रहे हैं और मैं एक बात आपको स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो सस्पेंशन ऑर्डर 12 लोगों को दिया गया है 11 तारीख के इंसिडेंस के ऊपर। मुझे बताओ कि कौन सदस्य इस बारे में टेबल पर चढ़ा हुआ था, फाइल फाड़ा हुआ था, माइक तोड़ा हआ था, ये मुझे बताइए। यानी गलत चीजें 11 तारीख के इंसिडेंट पर डालकर आज आप बिना नेमिंग। रुल तो ये कहता है कि पहले सदन में जिसने गलती की है, उसको नेम करना चाहिए और ये कहना चाहिए कि आपने ये-ये गलती की, इसलिए एक्शन लिया। फिर ऐसे ही 12 लोगों को पूछने के बाद सरकार को मोशन मूव करना चाहिए 12 के लिए। उसके बाद फिर अध्यक्ष महोदय या हमारे चेयरमैन साहब को उस पर एक्शन लेना चाहए। ये कोई भी प्रक्रिया कानून के तहत नहीं हुई, लेकिन फिर भी वो हमें ही कह रहे हैं कि अपोजिशन गलत कर रही है, वो पार्टिसिपेट नहीं करना चाहती है।

तो इसलिए मैं फिर एक बार अपील करता हूं कि हम सदन चलाने को तैयार हैं। सदन में सभी लोग मिलकर काम करने को तैयार हैं, नागालैंड इशू हो, इन्फ्लेशन हो, सारी चीजें जो पेगासस इशू हैं, चीन का एग्रेशन का इशू है, ये सब चीजें हम करना चाहते हैं, लेकिन सरकार इन सब पर मौका नहीं दे रही है। एक और बात ये है कि आज हम सभी पार्टी के लोग हाउस बॉयकोट करके फुल जो लोग सस्पेंड हुए हैं, वो सस्पेंड हुए लोगों के साथ में सारा दिन उनके साथ बैठ रहे हैं, उनका साथ दे रहे हैं और फिर कल क्या करेंगे, वो सब हम मिलकर तय करेंगे, उस वक्त मैं बोलूंगा।

मैं इतना ही कहूंगा कि सरकार ऑटोक्रेटेक्ली, अनडेमोक्रेटेक्ली, इललीगली और संविधान तोड़ कर वो डेमोक्रेसी के तहत वो नहीं चल रही है और हमें पाठ पढ़ाने का काम कर रहे हैं, ये ठीक नहीं है, उसका हम खंडन करते हैं। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

श्री आनंद शर्मा ने कहा कि अभी खरगे जी ने, तिरुचि शिवा जी, दोनों ने आपको बता दिया। हमारे साथियों ने कल भी बताया था, घटनाक्रम आपको मालूम है, उसको दोहराना आवश्यक नही हैं। आप देख रहे हैं ये पार्लियामेंट कॉम्पलेक्स की हालत, जिस तरह से बैरिकेड लगे हुए हैं, उसी तरह से प्रजातंत्र को सरकार बैरिकेड कर रही है। प्रजातंत्र को दबाया जा रहा है, कुचला जा रहा है और जो सरकार का कथन है, वो विपक्ष को बदनाम करने का है कि ये चित्र दिखाया जाए देश की जनता को कि गलती विपक्षी सदस्यों की है और सरकार सदन चलाना चाहती है। ये बात बिल्कुल गलत है। ये पहले भारत के संसद के इतिहास में 1952 से लेकर आज तक नहीं हुआ कि पिछले सत्र की कोई बात हुई हो या कोई आरोप इस तरह का हो, अगले सत्र में उसको सजा दी जाए और वो भी वो लोग जो कि नामजद ना किए गए हों। जैसा बताया गया अभूतपूर्व तो है, पर ये संविधान का भी उल्लंघन करता है, नियमों का भी उल्लंघन करता है।

दोष सरकार का है, सरकार ने चर्चा नहीं होने दी। ये सरकार चाहती है उनकी जवाबदेही तय ना की जाए। कोई ऐसा विषय ना उठाया जाए, जिससे सरकार का असली चेहरा सामने आता हो। अगर चर्चा होने देते, चाहे वो कृषि के कानून हैं, फॉर्म बिल्स हैं, क्या नुकसान होता, अब वापस लिए ना इन्होंने। हर वो चीज जो इन्होंने गलत की, इनको वापस करनी पड़ेगी। इसलिए तमाम विपक्ष इकट्ठा हैं, ये 12 सदस्यों का भी अधिकार है कि वो सदन की कार्यवाही में शामिल हों और एक चीज और है जो गौर करना जरुरी है कि सरकार केवल अपना काम करना चाहती है और ये चित्र रोज का कि विपक्ष बाहर आ गया, विपक्ष का अगर आप देखें नैतिकता के आधार पर भी हमारे 12 सदस्य बाहर बैठे हों और सरकार हमारी कोई सुनवाई ना करे, उन सदस्यों की भी कोई सुनवाई नहीं की गई

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