हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार हर माह में एक अमावस्या आती है, इस दिन चन्द्रमा सबसे कमजोर होता है, शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का चंद्रमा सबसे बलवान होता है और उस दिन सबसे उजली रात होती है और उस दिन के बाद बढ़ते हुए चंद्रमा का बल धीरे धीरे घटता जाता है और कृष्ण पक्ष की अमावस्या को सबसे अंधेरी रात होती है जिसे अमावस की रात कहते है।
पंचांग के अनुसार 12 माह के हर माह में 1 पूर्णिमा और 1 अमावस्या आती है और इस महीने 23 फरवरी को फाल्गुन माह की अमावस होगी जिसके बाद चैत्र मास लग जाएगा। यूँ तो हर माह की अमावस ख़ास होती है लेकिन फाल्गुन माह की अमावस की महिमा ही अलग है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन माह की अमावस इसलिए महत्वपूर्ण होती है क्यूंकि इसके ठीक पहले शिवरात्रि मनाई जाती है वहीं इस दिन धर्म स्थलों पर यज्ञ का आयोजन किया जाता है एवं इस दिन संगम पर भी स्नान करने का बड़ा महत्त्व है क्यूंकि माना जाता है कि इस दिन स्वयं देवताओं का निवास संगम पर होता है।
इस बार फाल्गुन अमावस्या 23 फरवरी 2020 रविवार को है। अमावस्या की तिथि 22 जनवरी 2020, शनिवार को शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन यानी 23 जनवरी 2020, रविवार को सुबह 3 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होने वाली है।
इस दिन आप किसी नदी के तट पर जरूर स्नान करे और अगर आपकी कुंडली में किसी प्रकार का कोई दोष है, ख़ास तौर से सर्प दोष तो आप इस दिन अपने इस दोष की शांति किसी ज्ञानी पंडित से करवाए, वही अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान है तो इस दिन भगवान शिव का रूद्र अभिषेक करके उनसे धन लाभ की कामना करनी चाहिए।