1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. इन पांच लोगों के बीच से भूलकर भी ना निकलें, आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगो को बताया है मूर्ख

इन पांच लोगों के बीच से भूलकर भी ना निकलें, आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगो को बताया है मूर्ख

By: RNI Hindi Desk 
Updated:
इन पांच लोगों के बीच से भूलकर भी ना निकलें, आचार्य चाणक्य ने ऐसे लोगो को बताया है मूर्ख

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। इतना ही नहीं चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि इन पांच लोगों के बीच से भूलकर भी ना निकलें, लोग समझने लगते हैं मूर्ख, आइये जानते हैं क्या कहा है आचार्य चाणक्य ने…

विप्रयोर्विप्रवह्नेश्च दम्पत्यो: स्वामिभृत्ययो:।

अन्तरेण न गन्तव्यं हलस्य वृषभस्।।

आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के माध्यम से बताया है कि जब दो ज्ञानी आपस में बात कर रहे हैं तो कभी भी व्यक्ति को बीच से नहीं निकलना चाहिए। उन्होने तर्क दिया कि ऐसा करने से उनकी बातचीत में बाधा आ सकती है। आचार्य ने आगे कहा कि जब कोई पुरोहित या पुजारी अग्नि के पास बैठा हो तो उसके बीच से नहीं निकलना चाहिए। ऐसा करने से पुरोहित के पूजा-पाठ या हवन-यज्ञ में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

आचार्य इस श्लोक के दूसरे पंक्ति के बारे में बतातें है कि जब स्वामी व सेवक आपस में बात कर रहे हो तो उनके बीच से नहीं निकलना चाहिए। उन्होने इसका तर्क दिया रि हो सकता है कि वह कोई जरूरी बात कर रहे हों और हमारी वजह से उनकी बातचीत में खलल पड़ जाय। ठीक इसी तरह पति-पत्नी अगर आपस में बातें कर रहे हों तो उनके बीच से नहीं निकलना चाहिए। ऐसा करने से पति-पत्नी का एकांत भंग होता है।

 

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...