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नाखून चबाने की आदत हो तो छोड़ दें, होता है गंभीर नुकसान, पढ़ें

नाखून चबाना (Nail Biting) बुरी आदत (Bad Habits) है लेकिन क्योंस बुरी आदत है यह कभी किसी ने विस्तार में नहीं बताया। हां, ये तो हर किसी को पता है कि इससे बीमारियां हो सकतीं हैं लेकिन कितनी गंभीर बीमारियां और हेल्थन प्रॉब्ल म (Health Problem) हो सकती हैं आज आपको इस आर्टिकल में यहां बताया जा रहा है।

By RNI Hindi Desk 
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नाखून चबाना (Nail Biting) बुरी आदत (Bad Habits) है लेकिन क्योंस बुरी आदत है यह कभी किसी ने विस्तार में नहीं बताया। हां, ये तो हर किसी को पता है कि इससे बीमारियां हो सकतीं हैं लेकिन कितनी गंभीर बीमारियां और हेल्थन प्रॉब्ल म (Health Problem) हो सकती हैं आज आपको इस आर्टिकल में यहां बताया जा रहा है।

दरअसल नाखून चबाना एक ऐसी आदत है जिसको समय रहते रोका नहीं गया तो यह आदत हमारी रुटीन में ऐसे शामिल हो जाती है कि पता भी नहीं चलता कि कब हमने अपने नाखूनों को कुतरना शुरू कर दिया। एक शोध के मुताबिक, दुनियाभर में 30 प्रतिशत आबादी नाखून चबाने की आदत से त्रस्तम है। आइए जानते हैं इसके गंभीर नुकसान को।

हेल्थगके मुताबिक, नेल बाइटिंग की वजह से बैक्टेचरियल इन्फेक्शन हो सकता है जिससे चेहरे पर रेडनेस, सूजन आदि आ सकते हैं। यही नहीं, कई बार तो नाखून के नीचे भी बैक्टेंरियल इन्फेक्शन होने की वजह से वहां पस बन जाते हैं और असहनीय दर्द हो सकता है। ऐसे में एंटीबैक्टेजरियल दवाओं की जरूरत पड़ती है। इतना कष्टू सहने से बेहतर है कि आप नाखून चबाना छोड़ दें।

जब हम मुंह के अंदर लगातार नाखूनों ले जाते हैं तो पैरोनीशिया (Paronychia) जैसी कई बैक्टीहरिया शरीर में जाकर आउट ऑफ कंट्रोल हो सकते हैं और हाथ पैर के ज्वाैइंट्स को प्रभावित कर सकते हैं. इसे सेप्टिक अर्थराइटिस भी कहते हैं जिसका इलाज आसान नहीं है. यही नहीं, यह परमानेंट डिसैबिलिटी का कारण भी बन सकता है।

नाखूनों पर असर

अगर आपको नेल बाइटिंग की  क्रानिक हैबिट है तो इसकी वजह से नाखून के अंदर के टिशू  खराब हो सकते हैं जो परमानेंट डैमेज कर सकता है। कई बार इस हैबिट की वजह से नाखून बढ़ना बंद हो जाते हैं। अगर यह समस्यास एक बार हुई तो इसे ठीक करना जैसे असंभव हो जाता है।

दांतों को पहुंचाता है नुकसान

पाया गया है कि जो लोग नेल बाइटिंग करते हैं उनके सामने की दांतों में कई तरह की समस्याै आ जाती है। इसकी वजह से दांत टूट सकते हैं, दांतों में दरारें आ सकतीं हैं और दांतों पर जिद्दी दाग भी जम सकते हैं। इससे दांतों के ढीले होने और गिरने का खतरा भी बन जाता है। ये हैबिट मसूड़ों को भी कमजोर करते हैं।

दांत हो जाते हैं टेढ़े मेढ़े

अगर बचपन में नाखून चबाने की आदत नहीं छोड़ी जाए तो दांत टेढ़े मेढ़े भी हो सकते हैं. दरअसल यह देखा गया है कि जब हम दांतों से नाखून को चबाते हैं तो इसके लिए एक या दो ही दांतों का प्रयोग करते हैं। इन्हींन दांतों से लगातार चबाने से दांत की पकड़ ढ़ीली पड़ जाती है और ये अपना शेप चेंज करने लगते हैं। बचपन की इसी आदत की वजह से बाद में दांतों पर ब्रेसिज पहनने की जरूरत पड़ती है।

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