बुद्ध होने के लिए कहते है कि एक राजा से लेकर एक संन्यासी तक का सफर करना होता है।
एक युवराज सिद्दार्थ जिसने सारा राज पाट छोड़कर संन्यास की राह चुनी और बुद्धत्व को प्राप्त हुए और बौद्ध धर्म की स्थापना की।
प्रत्येक वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि पर बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
माना जाता है कि इसी दिन बुद्ध का जन्म हुआ था। आपको बता दे कि इस वक़्त पूरी दुनिया में 180 करोड़ से अधिक लोग बौद्ध धर्म को मानते है।
यह भी माना जाता है कि इसी पूर्णिमा तिथि को कई वर्षों तक वन में भटकने व कठोर तपस्या करने के बाद बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को सत्य का ज्ञान हुआ था।
जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
शक करने की आदत बहुत खतरनाक होती है। शक लोगों को अलग कर देता है।
बुराई होनी चाहिए ताकि अच्छाई उसके ऊपर अपनी पवित्रता साबित कर सके।
अज्ञानी व्यक्ति बैल के समान होता है। वह ज्ञान में नहीं, सिर्फ आकार में बढ़ा दिखता है।
बीते हुए समय को याद नहीं करना चाहिए। भविष्य के लिए सपने नहीं देखना चाहिए, बल्कि अपने दिमाग को वर्तमान में ही केंद्रित करना चाहिए।