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वर्ष 2020 में आए कोरोना संकट के बाद देश में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए अधिक बजटीय प्रावधान की मांग हुयी तेज

By: RNI Hindi Desk 
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वर्ष 2020 में आए कोरोना संकट के बाद देश में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए अधिक बजटीय प्रावधान की मांग हुयी तेज

कोरोना संकट के बाद देश में हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए अधिक बजटीय प्रावधान की मांग तेज हो गई है। हेल्थ एवं फार्मा सेक्टर के अग्रणी लोगों ने भी बजट से जुड़ी अपेक्षाओं में इस बात को प्रमुखता से उठाया है। एनटोड फार्माश्यूटिकल के एग्ज्युक्युटिव डायरेक्टर निखिल के मसूरकर ने कहा कि बीते साल ने एक बार फिर से हमें यह अहसास कराया है कि देश के हेल्थकेयर इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार की दरकार है।

मसूरकर के मुताबिक वर्ष 2020 ने इस पर भी प्रकाश डाला है कि हमें हमारे हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर्स के बायोमेडिकल रिसर्च को मुख्य स्तम्भ के रूप में बनाने की जरुरत है। हालांकि, आगामी बजट का लक्ष्य होगा कि नई नौकरियों के द्वार खोले जाएं और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाया जाए लेकिन हेल्थकेयर और फार्मा सेक्टर पर ध्यान देने की जरुरत है।

उन्होंने कहा, ”हेल्थकेयर आवंटन को बढ़ाया जाना चाहिए और इसे जीडीपी का 2.5 फीसद किया जाना चाहिए। इस कदम को उठाना भारत सरकार की काफी समय से प्रतिबद्धता रही है, हम इस बजट से इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने की उम्मीद करते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे उपाय ढूंढने चाहिए जिससे ‘आयुष्मान भारत योजना’ जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं फंड की कमी के कारण ना रुके। ऐसे समय में जब लाखों लोगों की डिस्पोजल इनकम (टैक्स कटने के बाद की आय) काफी कम हो गयी है तो ऐसे में पब्लिक हेल्थकेयर सपोर्ट को ज्यादा गंभीरता से चैनलाइज करने की जरुरत है।

उन्होंने कहा, ”आगामी बजट में स्वास्थ्य देखभाल और मेडिकल रिसर्च के लिए उपलब्ध धनराशि के आवंटन में बढ़ोत्तरी एक प्रमुख कदम होना चाहिए। इस समय फार्मा सेक्टर को पर्याप्त पॉलिसी सपोर्ट देने से आत्मनिर्भर बनने की उम्मीद है।  न केवल ड्रग मैन्युफैक्चरिंग चेन (दवा निर्माण श्रृंखला) बल्कि स्वदेशी ड्रग डिस्कवरी प्रयासों को भी आत्मनिर्भर होने के लिए सहयोग देने की जरुरत है।

मसूरकर ने साथ ही कहा, ”हम फार्माश्यूटिकल डिपार्टमेंट द्वारा रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए एक अलग डिपार्टमेंट और एक ऐसा इंस्टीटयूट बनाने की उम्मीद करते हैं जो रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए ही हो। अगले 20 सालों में भारत को विश्व स्तर पर नए ड्रग मोलिक्युल का कम से कम 10% हिस्सेदार बनने का लक्ष्य रखना चाहिए।

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