भगवान गणेश माता पार्वती और शिव जी के पुत्र है और उनकी पूजा देवताओं में सबसे पहले की जाती है। उनके कई नाम है जिनमे एक नाम एकदन्त भी है। आइये आज आपको बताते है कि गणेश जी को एकदंत क्यों कहा जाता है ?
दरअसल एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पहुंचे लेकीन उन्होंने देखा की वहां तो द्वार पर उनके पुत्र गणेश जी खड़े है। उन्होंने गणेश से अंदर जाने की बात कही लेकिन गणेश जी ने साफ़ मना कर दिया।
परशुराम ने गणेश जी से काफी विनती की लेकिन वो नहीं माने और नौबत युद्ध तक की आ गयी। गणेश जी ने युद्ध किया लेकिन इस दौरान परशुराम के फरसे के वार से उनका एक दांत टूट गया और वे एकदंत कहलाए।
गणेश जी के एकदन्त होने के पीछे एक कथा और प्रचलित है और वो है महाकाव्य महाभारत का लेखन। दरअसल वेदव्यास जी ने गणेश जी से इस महाकाव्य को जब लिखने को बोला तो यह भी कहा कि लेखन कार्य रुकना नहीं चाहिए।
इसका अर्थ यह था कि वेदव्यास जी बोलते रहेंगे और गणेश जी लिखते रहेंगे। एक मोड़ पर जाकर गणेश जी के अपने दांत को ही अपनी कलम बना लिया और ऐसे वो एकदंत कहलाये।