पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट के अनशन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली बार खुलकर अपनी राय रखी है। इस मामले पर उन्होंने कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के जरिए आलाकमान को जवाब भेजा है
जयपुरः राजस्थान कांग्रेस में रार अब खुलकर सामने आ गई है। पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट के अनशन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पहली बार खुलकर अपनी राय रखी है। इस मामले पर उन्होंने कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के जरिए आलाकमान को जवाब भेजा है और पायलट पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए हमला बोला है। पायलट का कहना था कि पिछली वसुंधरा सरकार के समय हुए 45 हजार करोड़ के खान घोटाले सहित अन्य भ्रष्टाचार की जांच CM अशोक गहलोत ने नहीं कराई। एक सप्ताह पहले पायलट ने गहलोत के खिलाफ एक दिन का अनशन किया था। जिसमें उन्होने सवाल खड़ा किया था कि कहीं वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत मिले हुए तो नहीं हैं?
अपने जवाब में उन्होने कहा कि सचिन पायलट जिन मुद्दों को लेकर बात कर रहे हैं। उन सभी मुद्दों पर सरकार कार्रवाई कर चुकी है। इसलिए या तो सचिन पायलट को इसकी जानकारी नहीं है या वे जानबूझकर जनता को गुमराह कर रहे हैं। गहलोत ने कहा कि सचिन पायलट खुद डेढ साल तक प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रहे। तब उन्होंने एक भी मुद्दा नहीं उठाया, अब चार साल बाद क्यों उन्हें इन मुद्दों की याद आई। गहलोत ने यह भी कहा कि कांग्रेस नेता रामसिंह कस्वां वसुंधरा राजे सरकार के कई फैसलों के खिलाफ न्यायालय गए थे लेकिन सचिन पायलट ने कोई मदद नहीं की। खान घोटालों पर जवाब देते हुए गहलोत ने कहा कि जब कांग्रेस ने विपक्ष में रहने के दौरान इस मुद्दे को खुलकर से उठाया था। तब तत्कालीन भाजपा सरकार के दौरान ही कई खनन आवंटन को कांग्रेस के दबाव में रद्द कर दिया गया था। कई लीज धारक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गए थे। जिसमें कोर्ट ने 20 फरवरी 2020 को आदेश दिए कि 3 अधिकारियों की समिति बनाकर समीक्षा की जाए। इस समिति ने भी आवंटन निरस्त करने की अनुशंसा की थी। लोकायुक्त जांच और अनुशंसा के बाद 55 अफसरों कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करके 91 की कार्रवाई की गई थी।
इधर सचिन पायलट बीते रोज झुंझुनूं के टीबा गांव पहुंचे। यहां उन्होंने CM गहलोत और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे पर जमकर निशाना साधा। उन्होने कहा कि जनता से किए वादे पूरे नहीं हुए हैं। ऐसे में चुनाव के वक्त किस मुंह से वोट मांगने जाएंगे?