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इन लोगों से हमेशा रहें दूर कर देते हैं धन और जीवन बर्बाद, चाणक्य ने कही है ये बात

By: RNI Hindi Desk 
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इन लोगों से हमेशा रहें दूर कर देते हैं धन और जीवन बर्बाद, चाणक्य ने कही है ये बात

रिपोर्ट: सत्यम दुबे

नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। इतना ही नहीं चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि ऐसे लोगों से हमेशा रहें दूर, नहीं तो धन और जीवन हो सकता है तबाह, आइये जानते हैं चाणक्य की वो नसीहतें…

परस्परस्य मर्माणि ये भाषन्ते नराधमाः।

त एव विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत्।।

इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जो लोग आपस की बातें, दूसरों से उजागर कर देते हैं, ऐसे व्यक्ति अधर्मी और दुष्ट होते हैं। उन्होने तर्क दिया है कि ऐसा करने से एक-दूसरे को अपमानित करके आनंदित होते हैं। उन्होने उदाहरण देते हुए बताया कि ऐसे लोग बाद में बांस में फंसे सर्प की तरह खुद का नाश कर देते हैं। उन्होने सावधान करते हुए कहा है कि ऐसे लोंगो से हमेंशा दूर रहना चाहिए। उन्होने आगे कहा है कि ऐसे लोग धन और जीवन दोनो नष्ट कर देतें हैं।

गन्धः सुवर्णे फलमिक्षुदण्डे नाकारि पुष्पं खलु चन्दनेषु।

विद्वान् धनाढ्यो न तु दीर्घजीवी धातुः पुरा कोपि न बुद्धिदोभूत।।

आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक के बारे में बताया है कि जिस तरह से सोना में सुगंध, गन्ना में फल और चंदन में फूल नहीं होता, उसी तरह से विद्वान धनी नहीं होता और राजा दीर्घायु नहीं होता। उन्होने आगे कहा है कि सृष्टी के रचयिता को इसमें जो उचित लगा उन्होने कर दिया है। आगे उन्होने कहा कि सृष्टी के नियम कभी भी बदले नहीं जा सकते हैं।

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