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भारत विरोधी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहा खालिस्तानी संगठन, संसद पर झंडा फहराने का दिया किसानों को लालच, रखें इतने इनाम

Khalistani organization is not deterring from anti-India activities; खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने दिया किसानों को लालच। संसद पर झंडा फहराने के रखें इतने इनाम। किसानों को देश विरोधी गतिविधियों में शामिल करने के लिए उकसाया।

By Amit ranjan 
Updated Date

नई दिल्ली : भारत विरोधी गतिविधियों में लगातार शामिल रहने वाला खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) एक बार फिर बड़ा षड्यंत्र रचने जा रहा है। इसे लेकर उसने किसानों को लालच भी दी है। जिससे वो अपने मंसूबों में कामयाब हो सके। आपको बता दें कि हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है। इसके बावजूद भी किसान संगठन सड़कों पर बैठकर प्रदर्शन कर रहे है।

वहीं सिख फॉर जस्टिस (SFJ) संगठन के लोग भारत से हजारों किलोमीटर दूर बैठकर हमारे पंजाब को देश से अलग करने का ख्वाब देख रहे हैं। इसके लिए ये लोग आतंकवादियों जैसी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए दिन रात साजिश रचते हैं। इसी सिलसिले में अब SFJ ने 29 नवंबर 2021 को संसद में खालिस्तान झंडा फहराने के लिए 125,000 अमेरिकी डॉलर यानी करीब एक करोड़ रुपये देने का लालच दिया है।

गुरपतवंत सिंह पन्नू के जहरीले बोल

जिनेवा से एक वीडियो संदेश में, SFJ के काउंसलर गुरपतवंत सिंह पन्नू (Gurpatwant Singh Pannun) ने कहा कि, ‘जब भगत सिंह ने भारत की आजादी के अभियान के दौरान संसद पर बमबारी की थी, तो हम तो केवल किसानों से पंजाब की आजादी के लिए खालिस्तान के झंडे उठाने के लिए कह रहे हैं’।

UN मानवाधिकार दिवस से पहले माहौल बनाने की कोशिश

आपको बता दें कि सिख फॉर जस्टिस के गुर्गों की ये कवायद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार दिवस के 10 दिसंबर को जिनेवा में होने वाले आयोजन से पहले अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए कर रहे हैं। इसको लेकर एक वोटिंग कराने की मांग काफी समय से की जा रही थी। जो पीआरसी की देखरेख में होनी है। आपको बताते चलें कि कुछ ऐसी ही वोटिंग SFJ ने 31 अक्टूबर को लंदन में कराई थी लेकिन तब उसका आयोजन बुरी तरह फ्लॉप शो साबित हुआ था।

SKM ने की प्रधानमंत्री से मांग

वहीं दूसरी ओर भारत में किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर लंबे समय से ठप पड़ी बातचीत आगे बढ़ाने से पहले छह शर्तें रखी हैं। किसान इन्हीं 6 मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं जिसमें सभी किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाला कानून शामिल है।

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