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देश-दुनिया के इतिहास में आज के दिन की महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, पढ़ें

इतिहास  से अच्छा शिक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता. इतिहास सिर्फ अपने में घटनाओं को नहीं समेटे होता है बल्कि इन घटनाओं से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। हर गुजरता दिन इतिहास में कुछ घटनाओं को जोड़कर जाता है। क्रिकेट के खेल के प्रति भारतीयों की दीवानगी का कोई आलम नहीं है। यहां हर खाली बड़ी जगह एक क्रिकेट पिच की तरह भी देखी जाती है।

By RNI Hindi Desk 
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इतिहास  से अच्छा शिक्षक कोई दूसरा हो ही नहीं सकता. इतिहास सिर्फ अपने में घटनाओं को नहीं समेटे होता है बल्कि इन घटनाओं से भी आप बहुत कुछ सीख सकते हैं। हर गुजरता दिन इतिहास में कुछ घटनाओं को जोड़कर जाता है। क्रिकेट के खेल के प्रति भारतीयों की दीवानगी का कोई आलम नहीं है। यहां हर खाली बड़ी जगह एक क्रिकेट पिच की तरह भी देखी जाती है। इस खेल की शुरुआत तो इंग्लैंड से हुई लेकिन इसका जुनून भारतीय उपमहाद्वीप के देशों में ज्यादा दिखाई देता है। इस अनोखे खेल की आधिकारिक शुरुआत आज के दिन यानी 15 मार्च, 1877 को तब हुई जब मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहला टेस्ट मैच शुरू हुआ और पहली गेंद डाली गई।

इस टेस्ट मैच को नई उभर रही टीम ऑस्ट्रेलिया ने पुराने अंग्रेज धुरंधरों को 45 रनों से हरा कर जीता था। इस टेस्ट मैच की ख़ास बात ये थी कि इसकी कोई समयसीमा तय नहीं थी। दोनों टीमों को दो-दो पारियां खेलनीं थी। पोर्ट लुई मारिशस वहाँ के प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ द्वारा 15 मार्च 1984 में स्थित महात्मा गांधी संस्थान में प्रथम अंतराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का उद्घाटन हुआ था। इटली के पोसिलियो में 15 मार्च  2008 में महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। जेल सुधार एवं मानव अधिकारों की रक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए 15 मार्च 2008 में देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को जर्मन सम्मान एनीमेरी मेडिसन के लिए चुना गया था।

वोडाफ़ोन और एस्सार के बीच 15 मार्च 2007 में समझौता सम्पन्न हुआ था। 15 मार्च को जन्मे व्यक्ति। 15 मार्च 1934 में बहुजन समाज पार्टी  के संस्थापक कांशीराम का जन्‍म हुआ था। आज भारतीय राजनीति की एक अहम कड़ी हैं बहन मायावती। महिला सशक्तिकरण के इस दौर में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती एक आदर्श हैं लेकिन उनकी क्षमताओं को निखारने के पीछे एक ऐसे जौहरी का कमाल है जिसने डा. अंबेडकर जी के बाद देश में सही मायनों में दलितों को संगठित किया और यह शख्स थे स्व. श्री कांशीराम ही थे। कांशीराम ने गरीबों, दलितों को जीने की राह दिखाई है. कांशीराम का उद्देश्य सर्व जनहिताय, सर्व जनसुखाय रहा. कांशीराम उन लोगों में से थे जो अपना सुख आराम त्याग कर गरीबों की सेवा में अपना जीवन न्यौछावर कर देते हैं. जिंदगी भर अविवाहित रहकर, बिना किसी लाभ के पद पर रहे हुए उन्होंने बीएसपी और दलित समाज को संगठित किया। लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी लोग कांशीराम की कार्यशैली के मुरीद थे. कई राजनीतिक सलाहकार कांशीराम को देश में जातिवाद राजनीति को बढ़ावा देने का दोषी मानते हैं।

यूपी में तो कई लोग इन्हें खलनायक के तौर पर भी देखते हैं। इनका मायावती के प्रति विशेष रुझान भी इनकी निंदा का कारण बनता है। साथ ही इनकी नीतियों की वजह से दलितों का तो उत्थान हुआ लेकिन पिछडों और दलितों के बीच जो अंतर्द्वंद की स्थिति पैदा हुई उसका दोषी भी कई लोग कांशीराम को ही मानते हैं। 15 मार्च 1943 में दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा का जन्म हुआ था। 15 मार्च 1984 में इंडियन रैपर हनी सिंह का जन्‍म हुआ था।

आज अपने गानों की वजह से वह किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने पंजाबी से लेकर हिंदी फिल्मों और कई एलबमों में अपने रैप सॉन्ग से लोगों को दीवाना बनाया है। बॉलीवुड के इस मशहूर रैपर को लोग उनके गानों की वजह से तो जानते ही हैं, लेकिन इसके साथ ही उनका विवादों से भी पुराना नाता रहा है। यहां तक की बॉलीवुड किंग शाहरुख खान तक के साथ कथित झगड़े को लेकर वह चर्चा में रहे थे।

15 मार्च 1976 में अभिनेता अभय देओल का जन्म हुआ था 15 मार्च को हुए निधन। 15 मार्च को कई  दिग्गजों ने इस दुनिया को अलविदा भी कहा था 15 मार्च  1236 में विश्व प्रसिद्ध सूफ़ी संत हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुल्लाह अलैह का निधन हुआ था ।

15 मार्च 1992 में बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी और प्रसिद्ध साहित्यकार राही मासूम रज़ा का निधन हुआ था। डॉक्टर राही मासूम रज़ा फिरकापरस्ती, जातिवाद, सामंतशाही और वर्गीय विभाजन के ख़िलाफ़ निरंतर चली प्रतिबद्ध कलम के एक अति महत्वपूर्ण युग का नाम है। उनका जन्म एक अगस्त 1927 को गाजीपुर के गंगोली गाँव में हुआ था। वहाँ की आबोहवा ने उनकी रगों में हिंदुस्तानी तहजीब, लहू की मानिंद भर दी जो वक़्त के साथ-साथ गाढ़ी और गहरी होती गई। वह रिवायती ज़मींदार खानदान के फ़रज़ंद थे लेकिन मिज़ाज बचपन से ही समतावादी पाया। जवानी के दिनों में रज़ा वामपंथी हो गए। 15 मार्च 2015 में स्वतंत्रता सेनानी एवं महादेव देसाई के पुत्र नारायण भाई देसाई का निधन हुआ था ।

 

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