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दिल्ली फतह करने की तामाम कोशिशें जारी, अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे विपक्षी दलों के नेता

लोकसभा चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी से मुकाबला करने के लिए विपक्ष की एकता को लेकर तमाम तरह की कोशिशें की जा रही हैं। सभी विपक्षी दलों के नेता अपना अपना मत रख रहे हैं। हालांकि पीएम के चेहरे को लेकर कोई भी सीधे तौर पर एक नाम लेने को तैयार नहीं है। वहीं सभी अपनी अपनी राय जरूर रख रहे हैं। विपक्ष के कई दिग्गज नेता एक-दूसरे से मिल रहे हैं और अपना बयान भी दे रहे हैं। इसी कड़ी में विपक्षी एकता को लेकर ममता बनर्जी के बयान पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है।

By RNI Hindi Desk 
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नई दिल्लीः देश में लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। दिल्ली फतह करने के लिए पिछले चुनावों की तरह इस बार भी पीएम मोदी से मुकाबला करने के लिए विपक्ष की एकता को लेकर तमाम तरह की कोशिशें की जा रही हैं। सभी विपक्षी दलों के नेता अपना अपना मत रख रहे हैं। हालांकि पीएम के चेहरे को लेकर कोई भी सीधे तौर पर एक नाम लेने को तैयार नहीं है। वहीं सभी अपनी अपनी राय जरूर रख रहे हैं। विपक्ष के कई दिग्गज नेता एक-दूसरे से मिल रहे हैं और अपना बयान भी दे रहे हैं। इसी कड़ी में विपक्षी एकता को लेकर ममता बनर्जी के बयान पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है। अखिलेश यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केसीआर और अलग-अलग राजनीतिक दल इसका रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं, जहां भी कोई पार्टी मजबूत होगी, उन सभी जगहों पर चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते सोमवार को उन राज्यों में कांग्रेस को समर्थन देने की पेशकश की थी, जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है, बशर्ते राज्य में कांग्रेस की तरह उनकी पार्टी टीएमसी को भी समर्थन मिले। ममता बनर्जी ने कहा था कि बीजेपी से मुकाबला करने के लिए जिस क्षेत्र में जिस पार्टी का दबदबा है उसी को सभी दलों को समर्थन करना चाहिए। ममता बनर्जी ने कहा था कि हमने कर्नाटक में कांग्रेस का समर्थन किया था, अब उन्हें पश्चिम बंगाल में भी हमारे साथ वैसा ही करना चाहिए। यह ठीक नहीं होगा कि कर्नाटक में कांग्रेस हमारा समर्थन लेगी और पश्चिम बंगाल में हमारा विरोध करेगी। इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अखिलेश यादव से मिलने लखनऊ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा था, ज्यादा पार्टियों की राय एक हो जाए, ताकि देश को आगे ले जाया जा सके। नीतीश ने कहा था कि इस समय पार्टियों के साथ बैठकर बातचीत हो रही है और हम मिलकर काम करेंगे, ताकि देश को बीजेपी से मुक्ति मिल सके। सभी पार्टियों को एक साथ मिलकर अगला चुनाव लड़ेंगे, जो देशहित में अच्छा होगा।” वहीं मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव लोकसभा चुनावों के लिए केंद्र में विपक्षी एकता के लिए नीतीश कुमार की पहल का समर्थन कर सकते हैं। लेकिन इस शर्त के साथ कि कांग्रेस को नेतृत्व करने की भूमिका नहीं दी जानी चाहिए। इस बारे में उन्होंने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा भी की थी। उन्होंने कहा था कि वह कर्नाटक विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद विपक्षी दलों के नेताओं से मिलने की योजना बना रहे हैं।

वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने रांची में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की थी। इससे पहले नौ मई को उन्होंने बीजू जनता दल प्रमुख और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी से 26 अप्रैल को मुलाकात की थी। विपक्षी दलों के नेताओं के मुलाकात का दौर जारी है। लेकिन प्रधानमंत्री के लिए कौन विपक्ष का चेहरा कौन होगा इसका इस बीच कहीं जिक्र तक नहीं हुआ।

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