रिपोर्ट: सत्यम दुबे
नई दिल्ली: आचार्य चाणक्य का नाम आते ही लोगो में विद्वता आनी शुरु हो जाती है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति और विद्वाता से चंद्रगुप्त मौर्य को राजगद्दी पर बैठा दिया था। इस विद्वान ने राजनीति,अर्थनीति,कृषि,समाजनीति आदि ग्रंथो की रचना की थी। जिसके बाद दुनिया ने इन विषयों को पहली बार देखा है। आज हम आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के उस नीति की बात करेंगे, जिसमें उन्होने बताया है कि ऐसे व्यक्ति को हराना मुश्किल ही नहीं होता है नामुमकिन आइये जानते हैं चाणक्य ने किसकी बात की है।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में एक श्लोक के बारे में बताया है कि जो व्यक्ति अपनी गलतियों पर दूसरों का सामना करने से पहले खुद का सामना करता है, ऐसे व्यक्ति कभी पराजित नहीं होते हैं। वहीं उन्होने हकीकत के बारे में जिक्र करते हुए कहा है कि ये बात भी काफी हद तक सच है कि व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं कर पाता है और उसका स्वयं से लड़ना काफी मुश्किल होता है।
उन्होने तर्क दिया है कि इस तरह का साहस बेहद कम लोग ही दिखा पाते हैं। लेकिन जो ऐसा साहस दिखाते हैं, उनकी विजय होती है।
उन्होने इसके उलट कहा है कि कुछ ऐसे भी लोग होते हैं, जो जीवन में कई तरह की गलतियां करते हैं। लेकिन उसे स्वीकार नहीं कर पाते हैं। इस तरह के लोग सवालों से भरे होते हैं। यह गलती की वजह के साथ उसका हल खोजने में भी विश्वास रखते हैं।
उन्होनो आगे बताया है कि ऐसे लोग अक्सर इस तरह के सवालों का जवाब खोजने में बिजी हो जाते हैं कि आखिर गलती कैसे हुई और क्यों हुई, इसका समाधान क्या है? आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसे व्यक्ति को अपनी गलतियों के लिए खुद से लड़ता है, उसे पराजित करना असंभव होता है।