रिपोर्ट: गीतांजली लोहनी
नई दिल्ली: ज्योतिष विद्या और वास्तुशास्त्र के अनुसार रत्नों और धातुओं को अपने पास रखने या उन्हें धारण करने से जीवन के कष्ट दूर होते है। आपने बहुत से लोगों को देखा भी होगा जो कई रत्नों वाली अंगूठियां अपनी उंगली में धारण किये रहते है। तो वहीं कई लोगों को आपने कछुएं की अंगूठी पहने भी देखा होगा। तो क्या आप जानते है कछुए की अंगूठी पहनने के पीछे क्या राज है?
दरअसल, चीनी वास्तुशास्त्र यानी फेंगशुई के मुताबिक कछुए को सुख-समृद्धि, धन संपदा और गुड लक का प्रतीक माना जाता है। तो इसे धारण करने से कभी भी कष्ट आपकी लाइफ में नहीं आएंगे। तो चलिए जानते है इसे पहनने के पीछे के और क्या खास कारण है-
कछुए की अंगूठी कई तरह के वास्तुदोष दूर करती है। इसे धारण करने से व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और उसके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
कछुआ शांतिप्रिय और अत्यंत धैर्य रखने वाला जीव है। इसके प्रतीक वाली अंगूठी धारण करने से व्यक्ति में भी धैर्य, निरंतर गतिशील रहने और शांति के गुण विकसित होते हैं।
वास्तुशास्त्र के अनुसार कछुए की अंगूठी केवल चांदी की धातु में ही बनवाना चाहिए। अन्य धातु की अंगूठी शुभ प्रभाव नहीं देती।
इस अंगूठी को केवल सीधे हाथ में ही पहनना चाहिए। उल्टे हाथ में कछुए की अंगूठी नहीं पहनी जाती है।
कछुए की अंगूठी को पहनने के लिए तर्जनी और मध्यमा अंगुली निर्धारित है। इन्हीं में इसे पहनना चाहिए।
इस अंगूठी को पहनते समय यह ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि कछुए के सिर वाला भाग पहनने वाले की ओर हो। बाहर की ओर निकले हुए मुंह का असर नहीं होता।
इस अंगूठी को मां लक्ष्मी के दिन शुक्रवार को सुबह स्नानआदि करके गंगाजल और कच्चे दूध से धोकर धूप-दीप दिखाकर पहनें।