हिन्दू धर्म के 12 माह है, और हर माह में चन्द्रमा की स्थिति के आधार पर दो पक्ष होते है और प्रतिपदा से लेकर अमावस्या और पूर्णिमा तक 15- 15 तिथि होती है, कृष्ण पक्ष की 15वी तिथि अमावस्या होगी वही शुक्ल पक्ष की तिथि 15वी तिथि पूर्णिमा होती है, वही 11वी तिथि को एकादशी होती है, इस हिसाब से हर माह में दो एकादशी होती है और 6 मार्च को फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी है जिसका नाम आमलकी एकादशी है।
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यह दिन उपासकों के लिए विशेष महत्व का है क्योंकि इस तिथि पर स्वयं ब्रह्माण्ड के स्वामी भगवान् विष्णु का आधिपत्य है। इसी दिन स्वर्ग और मोक्ष की कामना करते हुए उनके भक्त व्रत रखते है और उनकी पूजा करते है।
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अगर धर्म ग्रंथों की माने तो तो आंवला भगवान विष्णु का प्रिय फल है, कहा गया है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का निवास माना जाता है, इसलिए ही आमल की एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा का महत्व बताया गया है।
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एकादशी का व्रत करने वाले सुबह जल्दी उठकर भगवान विष्णु की आराधना करते है। विष्णु जी की प्रतिमा के सामने हाथ में तिल, कुश, मुद्रा और जल लेकर संकल्प करते है और दिन भर निराहार रहते हुए शाम को उनकी पूजा करते है, वही अगले दिन मंदिर में जाकर दान देते है जिससे व्रत सम्पूर्ण माना जाता है। एकादशी के दिन किसी भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर 108 परिक्रमा करने का भी बड़ा महत्व बताया गया है।