जैसा की हम आपको पिछले लेखों में भी बता चुके है की वैदिक ज्योतिष में 9 ग्रह 12 भाव और 27 नक्षत्र का आधार पर फलित किया जाता है और जातक के प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है। आज इस लेख में हम आपकों बताने वाले है कि कैसे एक जातक की जन्मपत्री से यह पता लगाया जाएगा की वो किस फील्ड में सफल होगा।
फलित ज्योतिष में इस का विचार दूसरे, छटे और दशम स्थान से किया जाता है, जिनमे से दशम भाव को प्रधानता दी जाती है। अब यहां समझना बहुत ज़रूरी है कि कुंडली में इन 3 भावों को ही इससे सम्बन्धित क्यों रखा गया ! दरअसल 12 भावों में से दूसरे भाव से धन का, छटे से नौकरी का और दसवें भाव से जातक के कर्म का विचार किया जाए ऐसा शास्त्रों का मत है।
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इसमें भी दशम भाव के राशि स्वामी और कारक मंगल शनि का विचार किया जाना बहुत ज़रूरी हो जाता है, सबसे पहले कुंडली में यह देखा जाएगा की दशम भाव का स्वामी यानी दसमेश किधर बैठा है ? दशमेश की युति किस भाव के स्वामी के साथ है ? अगर दशम भाव का स्वामी बलवान होकर केंद्र स्थानों में बैठा हो और शनि बलवान हो तो ऐसा जातक सरकारी नौकरी करेगा।
अगर दशम भाव का स्वामी तीसरे और छटे भाव के स्वामी के साथ युति करे तो व्यक्ति नौकरी करता है, वही अगर दूसरे छटे और दशम भाव के स्वामी का आपस में बलवान सम्बन्ध हो तो ऐसा जातक पहले नौकरी करता है और बाद में खुद का व्यवसाय।
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इसके अलावा छटे भाव का स्वामी अगर पूर्ण बलवान हो या राजयोग बना रहा हो तो ऐसा जातक जीवन भर नौकरी करता है और उसी में बड़ा पद पाता है, अगर दशम भाव का संबंध दूसरे भाव के स्वामी के साथ हो तो ऐसा जातक अपने पैतृक व्यापार को आगे लेकर जाता है।
यहां विद्वानों के मत से एक और तरीका है और वो भावों का आपस में सम्बन्ध, उदाहरण के लिए दशम, दूसरे और चौथे भाव की युति दशम में हो जाए तो ऐसे में जातक एक से अधिक बिज़नेस करेगा और गुरु शनि के बलवान होने पर राजनीति में जाएगा।
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अगर दशम भाव का स्वामी अपने ही भाव को देखे तो उस व्यक्ति को आजीविका का साधन अच्छे से मिल जाता है वही दूसरे और लाभ स्थान के स्वामी की युति केंद्र में हो तो ऐसा जातक निश्चित रूप से व्यापार करेगा ही करेगा।
इस लेख में हमने जाना की कैसे कुंडली के आधार पर हम पता लगाते है की जातक नौकरी करेगा या व्यापार, अगले लेख में हम आपको बताएंगे की जातक किस फील्ड में नौकरी या व्यापार करेगा।