नई दिल्ली : ट्रंप की ट्रंपियत तो चली गई, अब बारी है बाइडेन की Bid (बाइड) की, जी हां क्योंकि आज अमेरिका को नया राष्ट्रपति मिलने वाला है, जो Joe Biden के रूप में होंगे। अब जबकि अमेरिका की सत्ता में परिवर्तन होने वाला हैं, तो पूरी दुनिया का ध्यान अमेरिका की ओर हैं, खासकर भारत और अमेरिका के रिश्ते को लेकर। गौरतलब है कि ट्रंप शासन में भारत और अमेरिका का संबंध बहुत ही अच्छा था, लेकिन उतना भी अच्छा नहीं जिसका उदाहरण दिया जा सकें। क्योंकि राष्ट्रपति होने के दौरान ट्रंप ने भारतीय नागरिकों के सामने कई परेशानियां खड़ी की, जिसमें प्रमुख वीज़ा और रोजगार को लेकर था। वहीं पाक और चीन मुद्दों पर अमेरिका ने भारत का भरपूर सहयोग दिया था।
वहीं अब जब जो बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने वाले हैं तो ऐसा कयास लगाया जा रहा हैं कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती नजदीकियां अब दूर हो सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक बाइडेन की नीति ट्रंप की तुलना में बहुपक्षीय होने वाली है। कोविड-19 के बाद के दौर में हर देश को एक-दूसरे का सहयोग करना होगा और चीन इसमें बड़ा रोल अदा करने वाला है। वहीं रूस की तरफ से पहले ही इस बात का इशारा किया जा चुका है कि अमेरिका की वजह से उसका साथी भारत उससे दूर हुआ है।
आपको बता दें कि ट्रंप शासनकाल के दौरान चीन और अमेरिका के खराब रिश्तों से एक नया समीकरण देखने को मिला था। जहां चीन, रूस के करीब हुआ तो वहीं भारत और अमेरिका के बीच भी दूरियां कम हुईं। शीत युद्ध के दौरान यह स्थिति एकदम विपरीत थी। चीन और अमेरिका जहां एक साथ थे तो भारत, रूस के साथ था। जिसे एकबार फिर बाइडेन मजबूत करने की कोशिश कर सकते है। क्योंकि बाइडेन, बराक ओबामा के धुरी के पार्टी के ही नेता है, जिन्होंने भारत के साथ-साथ चीन के साथ भी कई समझौता किया, लेकिन वो ट्रंप की तरह भारत के पक्ष में नहीं देखें।
बाइडेन ने किया बड़ा इशारा
सन् 1990 से ही अमेरिका ने चीन को सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी चिंता माना है। साल 2017 में जब ट्रंप ओवल ऑफिस पहुंचे रिश्तों में तल्खी आनी शुरू हो गई। पिछले वर्ष ट्रंप प्रशासन की तरफ से प्रोटोकॉल के तहत ट्रेड, तिब्बत और ताइवान तक पर अमेरिका ने फैसले लिए और रिश्ते इतिहास के सबसे बुरे दौर में पहुंच गए। पिछले माह बाइडेन ने अपनी विदेश नीति की तरफ इशारा किया था। अपने सलाहकारों से चर्चा करके उन्होंने जो नीति तैयार की है उसके तहत चीन और रूस की तरफ से पैदा होने वाली हर सुरक्षा चुनौती को हर संभावित सुधारों यानी समझौते के जरिये पूरा करने की कोशिश की है।
बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका-चीन के रिश्तों में कोई भी मसला जो अहमियत रखता है, चाहे वह मध्यम वर्ग से जुड़ा कोई मसला हो जिसमें ट्रेड और आर्थिक एजेंडा शामिल है, या फिर बौद्धिक संपत्ति की सुरक्षा हो या फिर पर्यावरण ही क्यों न हो, इन सभी को सुरक्षित किया जाएगा। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भी मानवाधिकारों को आगे बढ़ाया जाएगा।