UP Election 2022: Despite temple construction, BJP in search of panacea; मंदिर निर्माण के बावजूद रामबाण की तलाश में भाजपा। 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सियासत
डॉ मुमताज़ आलम रिज़वी (सीनियर एडिटर)
नई दिल्ली: 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सियासत का ऊँट किस करवट बैठेगा कुछ कहना जल्दबाज़ी होगी लेकिन मौजूदा हालात में अब भी भाजपा की बढ़त नज़र आ रही है जबकि समाजवादी पार्टी काफी क़रीब पहुँच चुकी है। इसके बाद बी.एस.पी और कांग्रेस में मुक़ाबला चल रहा है कि तीसरे नंबर पर कौन होगा। भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का तमग़ा तो हासिल कर लिया है लेकिन अब भी वो रामबाण की तलाश में है। उसको डर है कि शायद इससे बात न बने। यही वजह है कि अब काशी में मंदिर के निर्माण का दावा ठोंकते हुए एलान किया है कि जल्द ही मथुरा में भव्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। ऐसा नहीं है कि भाजपा और योगी सरकार सिर्फ़ मंदिरों की ही बात कर रही है, वो जगह जगह विकास कार्यों को भी प्रचार के सारे माध्यमों के ज़रिये पहुंचाने का काम कर रही है लेकिन हक़ीक़त यह है कि कहीं भी बात बनती दिखाई नहीं दे रही है, ऐसा उसको लगता है। कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का लोकार्पण किया । इस दौरान भारतीय सेना के विमानों ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर आपात लैंडिंग की और अपने शौर्य का प्रदर्शन किया। ऐसा लग रहा था 26 जनवरी है। पीएम मोदी के सामने मालवाहक विमान एएन 32 हरक्युलिस, मिराज 2000 और जगुआर ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर लैंडिंग की। सुखोई 30 विमानों ने हवा में करतब दिखाए। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरक्युलिस विमान से दिल्ली वापस आ गए। अभी कई बार उत्तर प्रदेश जायेंगे और जाना भी चाहिए क्यूंकि 2024 के लिए उत्तर प्रदेश में जीतना लाज़मी है।
अब देखिये न उत्तर प्रदेश के अलावा दिल्ली में भी होर्डिंग्स लगी हुई हैं जो योगी सरकार के विकास को दिखाने का काम कर रही हैं लेकिन इन सबके बावजूद भाजपा नहीं समझ पा रही है या खुद को तसल्ली नहीं दे पा रही है कि उसकी जीत के लिए रामबाण कौन साबित होगा? उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ज़बरदस्त टक्कर दे रहे हैं। वो नौजवानों के रोज़गार की बात कर रहे हैं। वो अच्छे लॉ एंड आर्डर की बात कर रहे हैं। वो महिलाओं के सशक्ति करण की बात कर रहे हैं। उनका दावा है कि योगी सरकार का अपना कुछ भी विकास कार्य नहीं है जो भी विकास है सब उनकी सरकार के वक़्त का है। इसमें कितनी सच्चाई है इसका फ़ैसला वक़्त करेगा और उत्तर प्रदेश के वोटर करेंगे लेकिन अखिलेश यादव जिस ढंग से मुद्दों को उठा रहे हैं उससे भाजपा की नींद उडी हुई है।
वैसे भाजपा के अंदर खास कर उत्तर प्रदेश को लेकर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। यह सच है कि आज योगी जी ही उत्तर प्रदेश भाजपा का सी एम चेहरा हैं लेकिन उनको भी नहीं पता की चुनाव के बाद क्या होगा? फिर यह भी मसला है कि अगर भाजपा हारी तो योगी जी ज़िम्मेदार होंगे और अगर जीती तो पी एम मोदी जी के सर सेहरा बंधेगा जो तय है।
भाजपा को इस बात का भी अंदाज़ा है कि कोरोना के दौरान जो कुछ हुआ उससे अब भी लोग नाराज़ हैं। योगी जी को यह भी मालूम है कि महंगाई उनके लिए एक बड़ा सवाल है। यही वजह है कि जब उप चुनाव में भाजपा की कई सूबों में हार हुई तो उसमें सबसे पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की। उत्तर प्रदेश सरकार को भी न चाहते हुए तेल की कीमतों में कमी करनी पड़ी क्योंकि पता था की अगर यह न किया तो कुछ भी काम नहीं आएगा और नैया डूबना तह है। बहर हाल हालात यही हैं कि अब भी भाजपा को किसी रामबाण की तलाश है। वो क्या होगा यह तो समय बताएगा।