1. हिन्दी समाचार
  2. कर्नाटक
  3. सियासी दलों में वोटों को लेकर खींचतान, प्रचार-प्रसार में कहां खड़े हैं सभी दल?

सियासी दलों में वोटों को लेकर खींचतान, प्रचार-प्रसार में कहां खड़े हैं सभी दल?

कर्नाटक में चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में सभी दलों ने पूरी एड़ी-चोटी का जोर लगाया। बीजेपी ने पीएम मोदी समेत पार्टी के सभी स्टार प्रचारकों को प्रचार के लिए मैदान में उतारा। अकेले पीएम मोदी ने कर्नाटक में 20 से ज्यादा रैलियां की |

By RNI Hindi Desk 
Updated Date

बेंगलुरु: कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटों के लिए चुनावी शोर खत्म हो गया है। 10 मई को मतगणना होनी है। इस चुनावी प्रचार अभियान में सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंकी। कर्नाटक में मुख्य रूप से बीजेपी, कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर तीन दल हैं जिनके बीच वोटों को लेकर खींचतान होती है। इस बीच अलग-अलग चुनावी सर्वे आए हैं जो अपना अपना आंकलन बता रहे हैं। जहां कुछ चुनावी सर्वे बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर बता रहे हैं वहीं जेडीएस को फिर से किंगमेकर बनने की उम्मीद है।


चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में सभी दलों ने पूरी एड़ी-चोटी का जोर लगाया। बीजेपी ने पीएम मोदी समेत पार्टी के सभी स्टार प्रचारकों को प्रचार के लिए मैदान में उतारा। अकेले पीएम मोदी ने कर्नाटक में 20 से ज्यादा रैलियां की। इसके साथ ही पीएम ने बेंगलुरू में दो मेगा रोडशो कर अपने प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने का पूरा प्रयास किया। इस दौरान मोदी ने कांग्रेस पर बड़े हमले भी किए। बजरंग दल को बैन करने की बात को लेकर पीएम मोदी ने मौका लपक लिया और पिछले कुछ दिनों से अपने भाषण की शुरुआत बजरंग बली की जय से की। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी अपनी रैलियों में मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर रहे। साथ ही बोम्मई सरकार के लिंगायत-वोक्कालिगा को अतिरिक्त आरक्षण के फैसले के बाद बीजेपी को काफी उम्मीदें हैं। गौरतलब है कि कर्नाटक में 1985 से अब तक कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आई है। इसके बावजूद भी बीजेपी इतिहास रचने की उम्मीद कर रही है। वहीं कांग्रेस अपनी सत्ता वापसी की उम्मीद लगा रही है। कांग्रेस को राज्य में सत्ता विरोधी लहर की उम्मीद है साथ ही अपनी पांच गारंटियों पर काफी भरोसा है। चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में कांग्रेस ने महंगाई, बेरोजगारी समेत स्थानीय मुद्दे जोर शोर से उठाए। हुबली में चार साल के बाद सोनिया गांधी की पहली रैली से कांग्रेस का कॉनिफिडेंस काफी बढ़ा है। वहीं जेडीएस का चुनाव प्रचार अभियान कुछ खास नहीं रहा। क्योंकि देवगौड़ा और कुमारस्वामी की सेहत खराब चल रही है। हालांकि जेडीएस ने किसानों के अलावा गरीबी, क्षेत्रीय विकास और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया है।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...