रिपोर्ट: सत्यम दुबे
बालाघाट: देश में कोरोना के दूसरे लहर से तबाही मची हुई है, लोग ऑक्सीजन और जरुरी दवाईयों के बिना दम तोड़ रहे हैं। इसी बीच मध्य प्रदेश के बालाघाट से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानकर आप भी तारीफ करने से नहीं चूकेंगे। यहां एक डॉक्टर बेटी ने अपनी जान दांव पर लगाकर मरीजों की जिंदगी बचा रही है। इस बेटी ने 180 किलोमीटर स्कूटी अकेले घने जंगलों में चलाकर नक्सल इलाकों में इलाज करने पहुंची। आइये जानते हैं इसके बारे में…
इस दिलेर डॉक्टर बेटी का नाम प्रज्ञा घरड़े है, जो नागपुर के निजी अस्पताल के एक कोविड केयर सेंटर में ड्यूटी दे रही है। हाल ही में वह अपने घर बालाघाट छु्ट्टी पर आई थी। इसी दौरान अचानक कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने लगे तो वह अपने फर्ज की खातिर घर से नागपुर वापस जाना चाहती थी। लेकिन महाराष्ट्र में लगे लॉकडाउन की वजह से बसों और ट्रेनों में जगह ही नहीं मिली।
परिवार वालों के लाख मना करने के बाद भी प्रज्ञा घरड़े ने नागपुर जाने की जिद नहीं छोड़ी। इस दौरान उसने परिवार से कहा कि अगर ऐसे समय पर वह घर में बैठी रहेगी तो मरीजों का इलाज कौन करेगा। इसिलए उसने जज्बा और जुनून दिखाते हुए अपनी स्कूटी से नागपुर तक का सफर करना तय किया। वह भी अकेले, जिसे परिवार के लोग मना कर रहे थे।
आपको बता दें कि प्रज्ञा को यह सफर तय करने में तकरीबन 7 घंटे का वक्त लगा। 180 किलोमीटर के सफर में जंगली इलाका पड़ता है, जो नक्सल प्रभावित भी है। वहां के हालात ये हैं कि पुरुषों को अकेले जाने में भी डर लगता है। लेकिन उसकी सेवा भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति के चलते उसके हौसले को कोई डिगा नहीं सका। डॉक्टर प्रज्ञा घरड़े का कहना है कि इस सफर के दौरान उसे थीड़ी असुविधा जरूर हुई। क्योंकि रास्ते में कोई खाने-पीने की दुकान नहीं खुली थी। साथ ही पूरा रास्ता सुनसान था, धूप भी बहुत तेज थी। लेकिन मरीजों को सही करने की जिद में नागपुर सही सलामत आ गई।