नई दिल्ली : अक्सर आपने देखा होगा कि पति और पत्नी के बीच की कड़वाहट कोर्ट के कटघरे तक पहुंच जाती है, जिसे लेकर कई अहम निर्णय भी आते है। या तो वह रिश्ता खत्म हो जाती है, या उस रिश्ते को एक और नया मौका मिलता है। हालांकि जब यह रिश्ता खत्म होता हैं तो कोर्ट द्वारा पत्नी के पक्ष में ऐसे कई निर्णय दिये जाते है, जिससे उनके आगे का जीवन सहीं से चल सकें। एक ऐसी ही याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल हुआ।
आपको बता दें कि इस याचिका में यह अपील की गई थी की पत्नी ने पति के बढ़ते वेतन पर अपना हक जमाते हुए उससे गुजारा भत्ता बढ़ाने की सिफारिश की थी, जिसे लेकर उसने स्थानीय कोर्ट में अपील भी की थी। इस अपील को कोर्ट ने मंजूर करते हुए पति को गुजारा भत्ता बढ़ाने का आदेश दिया। इसके बाद पति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। और कहा कि उसका वेतन पहले 95 हजार रूपया था, जो बढ़कर 1 लाख 14 हजार मासिक हो गया है। सभी कटौतियों के बाद उसे 92 हजार 175 रुपये वेतन के रूप में मिलते हैं और ऐसे में 28 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश कैसे दिया जा सकता है।
हालांकि कोर्ट ने इस मामले को खारिज करते हुए कहा कि हाई कोर्ट ऐसे मामले में तब हस्तक्षेप कर सकता है, जब आदेश कानून के खिलाफ या पक्षपात वाला हो। हाई कोर्ट ने कहा कि, ‘रिविजन याचिका में हाई कोर्ट के दखल की संभावना बेहद कम होती है। ऐसा तब होता है जब आदेश कानून के खिलाफ या पक्षपात वाला हो। इस मामले में ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता है।
आपको बता दें कि कोर्ट के इस आदेश के बाद एक ओर जहां पति के वेतन में इजाफा हुआ है वहीं दूसरी ओर पत्नी के घर के किराए में भी 1500 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई। ऐसे में फैमिली कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सभी तथ्यों पर गौर किया है और इस पर आदेश विस्तृत है।’