नई दिल्ली: पूरी दुनिया एक खास तरह की चीज की भारी कमी से जूझ रही है जिसे सेमिकंडक्टर या चिप कहा जाता है। आज की दुनिया इसी सेमिकंडक्टर के बदौलत दौड़ रही है। दुनिया में जितने भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद हैं या जिन चीजों में इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल होता है वे सभी संकट की दौर से गुजर रहे हैं। इस कारण देश में त्योहारी सीजन में भी बाजार में ऐसे उत्पाद नहीं मिल रहे हैं।
कोरोना महामारी के कारण आया ये संकट
दरअसल, कोरोना महामारी ने बीते साल से पूरी दुनिया में सप्लाई चेन को पटरी से उतार दिया। वैश्विक स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग के हब कहे जाने वाले देशों चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के साथ वियतनाम और जर्मनी जैसे देश कोरोना से बुरी तरह प्रभावित रहे। इन देशों में उत्पादन पर भारी असर पड़ा और इस कारण वैश्विक स्तर पर सप्लाई प्रभावित हुई। इस बीच कोरोना काल में कार और अन्य वाहनों की बिक्री घट गई तो कंपनियों ने सेमिकंडक्टर खरीदना कम कर दिया, वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन के दौरान पूरी दुनिया में लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की मांग काफी बढ़ गई।
ग्लोबल चिप मार्केट अभी 34 लाख करोड़ रुपये का है। वर्ष 2028 तक 60 लाख करोड़ रुपये का होने की उम्मीद। 01 प्रतिशत मेडिकल चिप का सेमीकंडक्टर के मार्केट में हिस्सा।
अब जानकार कह रहे हैं कि यह समस्या बहुत जल्दी ठीक नहीं होने जा रही, क्योंकि सेमिकंडक्टर बनाना एक जटिल काम है और दुनिया की कुछ चुनिंदा कंपनियां ही इसे बनाती है. इसका रातोंरात उत्पादन बढ़ाने का कोई भी जादुई तरीका नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2023 तक बाजारों को इस चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
भारत में भी पड़ा है असर
वैश्विक स्तर पर चिप संकट की वजह से भारत भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। भारत में चिप का निर्माण नहीं होता। हम इसके लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर हैं। चिप की कमी के कारण इस वक्त बाजार में कार से लेकर लैपटॉप तक हर चीज की कमी चल रही है। प्रमुख कार निर्माता कंपनियां जैसे मारुति, हुंदई और महिंद्रा अपने ग्राहकों को समय पर डिलिवरी नहीं दे पा रही हैं।
क्या होता है सेमीकंडक्टर?
यह चिप्स या सेमीकंडक्टर छोटे-छोटे दिमाग हैं, जो गैजेट्स को संचालित करते हैं. सेमीकंडक्टर चिप्स सिलिकॉन से बने होते हैं. इन्हें माइक्रो सर्किट में फिट किया जाता है, जिसके बिना इलेक्ट्रॉनिक सामान और गैजेट्स चल ही नहीं सकते. सभी एक्टिव कॉम्पोनेंट्स, इंटिग्रेटेड सर्किट्स, माइक्रोचिप्स, ट्रांजिस्टर और इलेक्ट्रॉनिक सेंसर इन्हीं चिप्स से बने होते हैं। यह सेमीकंडक्टर ही हाई-एंड कंप्यूटिंग, ऑपरेशन कंट्रोल, डेटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज, इनपुट और आउटपुट मैनेजमेंट, सेंसिंग, वायरलेस कनेक्टिविटी और कई अन्य कामों में मदद करते हैं। ऐसे में ये चिप्स आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस्ड वायरलेस नेटवर्क्स, ब्लॉकचेन एप्लिकेशन, 5G, IoT, ड्रोन, रोबोटिक्स, गेमिंग और वियरेबल्स का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं।